शिव महापुराण कथा के अंतिम दिन उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, सेवा करने वालों को दिया धन्यवाद

सूरत। शहर के डिंडोली खरवासा रोड पर वेदांता सिटी में आयोजित की गई सिहोर वाले पंडित प्रदीप मिश्रा की सात दिवसीय शिव महापुराण कथा के अंतिम दिन आस्था का सैलाब उमड़ा। प्रख्यात कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने व्यासपीठ से कथा का रसपान करवाते हुए भारत भूमि पर जन्म लेनेवाली बेटियों से निवेदन किया कि आज का समय विचित्र है। छोटी छोटी बच्चियों के साथ कृत्य हो रहे है। उसे दूसरा कोई नहीं रोक सकता। इतने अपराध हो रहे, इन्हें सरकार कब तक रोकेगी। शिवपुराण् कथा कहती है, इन अपराधों को सरकार रोक नहीं पाएंगी। लेकिन हमारे संस्कार इन्हें रोक पाएंगे।

उन्होंने कहा कि शिव को दया, करूणा का सागर कहा जाता है। वह अपने भक्तों को वैभव, सत्ता, संपत्ति देते है। तो हमें भी थोड़ा सुख बांटने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सुख और आनंद में जमीन आसमान का अंतर है। मजा और आनंद में अंतर है। मजा कुछ क्षण का रहता है, आनंद हमारे अंतिम सांस तक रहता है। किसी की चिकित्सा, भूखों को भोजन, किसी का एज्युकेशन करने में सहायता कर देना आनंद का विषय है। दिपावली में पटाखे फोड़ने से ज्यादा खुशी किसी जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाई करवाने में सहायता करने में है। आनंद कभी समाप्त नहीं होता और होना भी नहीं चाहिए।

पंडित प्रदिप मिश्रा ने कहा कि जो वस्तु मिल जाती है उसकी कीमत व्यक्ति समझ नहीं पाता है। अपने भीतर शिवजी को पाने की ललकता चाहिए। शिव पर किया गया भरोसा कभी टूटता नहीं है। भारत एक ऐसी भूमि है, जहां विश्व कल्याण की भावना है। आसूर शरीर नहीं छूटे मांगते है और शंकर का भक्त मांगता है शंकर का द्वार नहीं छूटे। आज की आरती में सुनिल पाटिल, सम्राट पाटिल, विधायिका संगीता पाटिल, जिग्नेश पाटिल समेत स्थानीय नगरसेवक उपस्थित रहे।

– कथा के इतिहास में सूरत की कथा सुवर्ण अक्षरों में लिखी गई

सूरत में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब को देखते हुए पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि कथाओं के इतिहास में सूरत कथा सुवर्ण अक्षरों में लिखी गई। शिवपुराण कथा कैसी होती है और आनंद कैसा होता है यह सूरत की कथा ने सबको अनुभूति करवायी। उन्होंने आयोजकों की भक्ति के प्रति श्रद्धा की सराहना की और अगली बार भी उनके द्वारा कथा का आयोजन किया जाएंगा ऐसा आशावाद व्यक्त किया। साथ की कथा में सेवा देनेवाले स्वयंसेवकों को भी सराहा।

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