उत्तरायण पर्व पर पतंग को छोड़ दिया समाज सेवा को महत्व, वी.एन. गोधानी स्कूल के 56 विद्यार्थियों ने दान एकत्रित किया
एकत्र किया गया दान वृद्धाश्रमों, अनाथालयों और मूक-बधिर बच्चों के संस्थानों को दिया जाएगा
सूरत. उत्तरायण पर्व यानी मकर संक्रांति पर जितना महत्व पतंग उड़ाने को है उससे अधिक इस दिन का महत्व दान का भी है। जिसे ध्यान में रखते हुए शहर के वी.एन. गोधनी स्कूल के 56 छात्रों ने इस बार पतंग के साथ त्योहार मनाने के बजाए दान एकत्र किया और एकत्र किया गया दान अब एक वृद्धाश्रम, एक अनाथालय और बहरे गूंगे बच्चों के लिए कार्य करने वाली संस्थाओं को दिया जाएगा।
हिंदुओं धर्म के अनुसार उत्तरायण पर्व दान देने के लिए सबसे अच्छा दिन माना जाता है। इस दिन अमीर-गरीब सभी अपनी क्षमता-सुविधा के अनुसार गौशालाओं-धार्मिक संस्थाओं-वृद्धाश्रमों-अनाथालयों में दान देते हैं। ऐसे में फिर बेजुबान जानवरों, वृद्धाश्रमों और अनाथालयों के लिए दान इकट्ठा कर वी. एन. गोधानी इंग्लिश स्कूल के माध्यम से इसे इन संस्थाओं तक पहुंचाने का विचार स्कूल के कक्षा-9 और कक्षा-11 विद्यार्थियों के समक्ष रखा गया।
बच्चों ने भी इस विचार की सराहना करते हुए इसे अमल में लाने का निर्णय किया। आमतौर पर बच्चे उत्तरायण पर्व का विशेष आनंद लेते हैं। वे सुबह से ही छतों पर पतंग उड़ाने पहुंच जाते हैं, दिन भर डीजे (माइक-स्टीरियो) की धुन पर नाचते और गाते हैं। दोस्तों, भाई-बहनों और परिवार के साथ मौज-मस्ती करते हैं , लेकिन, वीएन गोधनी स्कूल के कक्षा 9 और 10 के 56 बच्चे और शिक्षक सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक दान एकत्रित करने में जुट गए। इन बच्चों और शिक्षकों ने संडे हब, डभोली चाररास्ता, कतारगाम क्षेत्र के सिंगनपोर चार रास्ता और स्वामीनारायण मंदिर, कतारगाम सहित कुल 4 स्थानों पर स्कूल यूनिफॉर्म में उपस्थित रहकर दान स्वीकारा। स्कूली बच्चों द्वारा इकट्ठा किया गया दान अब वृद्धाश्रमों, अनाथालयों, मूक-बधिर बच्चों की संस्थाओं को दिया जाएगा।
विद्यालय के बच्चों द्वारा किए गए इस कार्य से विद्यालय के अध्यक्ष गोविंदाकाका ने कहा कि यह प्रयोग करने का विचार इसलिए आया कि इस उम्र में विद्यार्थी को पता चले कि दूसरों के लिए दान क्यों मांगना है..? दान का उपयोग कौन करेगा? संक्षेप में, हम इस विश्वास के साथ आगे बढ़ रहे हैं कि यदि छात्रों में देने की भावना पैदा की जाए तो सामाजिक शिक्षा का स्वास्थ्य विद्यालय में ही पाया जा सकता है।
स्कूल के डायरेक्टर भावेश लाठिया ने कहा कि उत्तरायण के त्योहार में दान की जहां पारंपरिक महिमा है, वहीं दान इकट्ठा करने और उसे जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी के महत्व को समझाने के लिए स्कूल द्वारा ऐसा प्रयोग किया गया। ये भारत की इस विरासत को अगली पीढ़ी के लिए सुरक्षित रखने की शुरुआत है। ऐसी गतिविधियों के माध्यम से बच्चों के मन में समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना और व्यक्तियों की मदद करने के बीज बोए जाते हैं, साथ ही जीवन दान, करुणा, जरूरतमंद लोगों की मदद करने जैसे गुणों के बारे में सोचने का उद्देश्य होता है, जो आगे चलकर एक अच्छे नागरिक के रूप में समय-समय पर समाज के साथ खड़े रहने की प्रेरणा देने के साथ-साथ अनाथालयों, वृद्धाश्रमों, मूक-बधिर संस्थाओं में दान दिलाने के उद्देश्य से भी अपना योगदान देने के लिए प्रेरित करेगा।