दो दूल्हे एक ही दुल्हन:-
हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में दो सगे भाइयों की शादी एक ही लड़की से हो गयी, वह भी चोरी चुपके नहीं धूमधाम से ! जिसके रीति-रिवाजों का 3 दिन तकपालन हुआ !
बड़ा भाई सरकारी कर्मचारी है जबकि छोटा विदेश में नौकरी करता है ! दुल्हन भी काफी पढ़ी-लिखी है ! तीनों का कहना है कि वह सदियों पुरानी अपनी सामाजिक परंपरा को निभा रहे हैं! लड़की ने दो भाइयों से एक साथ शादी क्यों की ? आखिर क्या है हाटी समुदाय का यह ‘उजला पक्ष’ ? आइये ! जानते है इस अद्भुत प्रथा का सच !
यह बात है 12 , 13 और 14 जुलाई की ! हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले का शिलाई गाँव ! शिलाई गाँव के थिंडो वंश के दो भाई, प्रदीप और कपिल नेगी ! पास में ही एक गाँव है कुन्हाट ! कुन्हाट गाँव की ही रहने वाली है दोनों भाइयों की नव ब्याहता पत्नी सुनीता चौहान ! तीनों पढ़े-लिखे और संपन्न परिवारों से हैं ! बड़ा भाई प्रदीप जल शक्ति विभाग में काम करता है जबकि दूसरा भाई कपिल विदेश में होटल इंडस्ट्री में कार्यरत है!
3 दिन चली यह शादी सभी पारंपरिक रीति रिवाजों के साथ हुई और स्थानीय समुदाय के लोगों ने बखुशी इसमें भाग लिया ! शादी के आखिरी दिन यानी 14 जुलाई को दोनों दूल्हे भाइयों ने अपनी दुल्हन के साथ मंच पर चढ़ कर आगंतुकों से शुभकामनाएँ और आशीर्वाद ग्रहण किया ! यह शादी हाटी समुदाय की एक प्राचीन परंपरा ‘उजला पक्ष’ के रीति रिवाजों के अंतर्गत की गयी जिसमें एक कन्या दो अथवा दो से अधिक भाइयों से शादी करती है ! इस परंपरा को बहुपतित्व भी कहा जाता है ! हालाँकि कानूनी रूप से इसे Polyandry कहा जाता है जो हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार वर्जित है ! आमतौर पर हाटी समुदाय की ऐसी शादियाँ दूरदराज के इलाकों में बिना शोर शराबे के हो जाती हैं, लेकिन चूँकि यह विवाह सहमति और सामुदायिक भागीदारी के साथ हुआ, इसलिए सुर्ख़ियों में आ गया !
तीनों विवाहितों के विचार :- इस शादी से दूल्हों-दुल्हन, किसी को भी कोई एतराज नहीं था ! धूम धड़ाकों के साथ बारात पहुँची और जश्न मनाया गया ! बड़े भाई प्रदीप ने कहा हम तीनों ने अपनी मर्जी से शादी का फैसला किया ! यह विश्वास, देखभाल और समान जिम्मेदारी का मामला है ! हमने अपनी परंपराओं को खुले दिल से निभाया क्योंकि हमें अपनी जड़ों पर गर्व है ! छोटा भाई कपिल, जो दूसरा दूल्हा है, ने कहा कि हमने हमेशा ट्रांसपेरेंसी में यकीन किया है ! मैं भले ही विदेश में रहता हूँ लेकिन इस शादी के जरिये हम एक संयुक्त परिवार के रूप में अपनी पत्नी को प्यार, भरोसा और सम्मान देंगे ! दुल्हन सुनीता ने भी कहा यह मेरी पसंद थी ! मुझ पर कभी कोई दबाव नहीं डाला गया ! मैं इस परंपरा को जानती हूँ और मैंने इसे अपनी मर्जी से चुना ! हमने साथ मिलकर वादा किया और मुझे हमारे बीच बने इस सम्बन्ध पर पूरा भरोसा है !
वैधानिक पक्ष :- इस विषय में यह जान लेना भी रोचक होगा कि वैसे तो देश में हिंदू मैरिज एक्ट 1955 की धारा 5 के मुताबिक एक वैध हिंदू विवाह में एक समय में एक पुरुष और एक ही महिला आपस में पति-पत्नी बन सकते हैं ! इस हिसाब से बहुपतित्व या बहुपत्नीत्व प्रथा कानूनन स्वीकृत नहीं होती है ! सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील अश्विनी दुबे के अनुसार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 371 के तहत अनुसूचित जनजातियों (Scheduled Tribes या ST) की परंपराओं को कुछ छूट का भी प्रावधान है ! इस समुदाय के लोग अपनी परंपराओं के अनुसार शादी करते हैं जिस वजह से ST को मिलने वाली छूट का फायदा उन्हें मिल जाता है, इसी कारण से हाटी समुदाय जो कि एक अनुसूचित जनजाति है, को भी सांस्कृतिक परंपरा के अनुरूप कुछ हद तक संरक्षण मिला हुआ है ! लेकिन यह छूट एक हद तक ही सीमित है ! हिमाचल में अनुसूचित जनजातियों की शादी की रेगुलर करने के लिए कानून नहीं बना है ! हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने 4 जनवरी 2024 को हाटी समुदाय के एसटी दर्जे पर अंतिम रोक लगा दी थी और इस सन्दर्भ में अगली सुनवाई 21 नवंबर 2025 को होनी है ! इस क़ानूनी असमंजस के बावजूद भी हाटी समुदाय में बहुपतित्व प्रथा को सामाजिक मान्यता मिली हुई है चाहे इसे कानूनी मान्यता भले ही न मिले !
हाटी समुदाय की बहुपतित्व प्रथा को महाभारत काल से जोड़ कर देखा जाता है, जैसे द्रौपदी ने पॉँच पांडव भाइयों से विवाह किया था ! यह प्रथा हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के ट्रांस गिरि यानि गिरि पार इलाके में सदियों से प्रचलित है ! इस प्रथा में पैदा होने वाले बच्चा सभी भाइयों का साझा बच्चा माना जाता है ! सभी भाई उसकी जिम्मेदारी लेते हैं! बच्चों के लिए आमतौर पर पिता का नाम सबसे बड़े भाई का दर्ज किया जाता है, लेकिन सभी भाई पिता की तरह ख्याल रखते हैं !
ट्रांस गिरि इलाके के करीब 350 गॉंवों में हाटी समुदाय की आबादी लगभग 2.5 लाख है। इनमें से कई गावों में ‘उजला पक्ष’ की प्रथा पहले आम थी ! लेकिन सन 1970 -80 के दशक के बाद पढ़ाई और आधुनिकीकरण के कारण धीरे धीरे यह प्रथा कम होने लगी ! शिलाई गाँव के निवासी बिशन तोमर कहते हैं – “अकेले हमारे गाँव में ही करीब तीन दर्जन से ज्यादा परिवार ऐसे हैं जहाँ दो-तीन भाइयों की एक ही पत्नी है या एक पति की कई पत्नियों हैं ! लेकिन यह शादियाँ चुपचाप होती हैं और धीरे-धीरे घटती जा रही हैं ! प्रदीप कपिल और सुनीता की शादी अपनी ईमानदारी और जिस गरिमा के साथ हुई, उसके लिए खास मानी जा रही है!”