शैक्षिक एवं प्रशासनिक गुणवत्ता सुधार सेमिनार का आयोजन

सूरत। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय-सूरत और सूरत शहर-जिला आचार्य संघ की संयुक्त पहल पर शिक्षा राज्य मंत्री प्रफुल्ल पानशेरिया की उपस्थिति में नर्मद विश्वविद्यालय के कन्वेंशन हॉल में शैक्षिक और प्रशासनिक गुणवत्ता सुधार पर सेमिनार आयोजित की गई। इस अवसर पर शिक्षा राज्य मंत्री प्रफुल्ल पानशेरिया ने कहा कि पूरे जीव सृष्टी में केवल मनुष्य को ही शिक्षा की आवश्यकता है। व्यक्ति को जमीन से जोड़े रखने और सही मायनों में मानवीय बनाने में शिक्षा की अहम भूमिका होती है। शिक्षा वह सांस्कृतिक विरासत है जो हमें विरासत में मिली है। इसके अलावा मंत्री ने कर्म के सिद्धांत का अर्थ समझाया और कहा कि जीवन को शाम के समय फलना-फूलना चाहिए, जिसका अर्थ है कि जिन्होंने अपनी युवावस्था में सर्वोत्तम कर्म नहीं किए हैं, उनका बुढ़ापा अच्छा नहीं होगा। शिक्षक गांव का आदर्श व्यक्ति होता है। गुरु को कभी भी व्यसनी नहीं होना चाहिए और न ही कभी राग-द्वेषी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनके हृदय में पवित्र भावना होनी चाहिए और आंखों में प्रेम का झरना बहता रहना चाहिए।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि नशीली दवाओं के साथ-साथ नशा, अवसाद भविष्य में दुनिया की सबसे बड़ी समस्या होगी, उन्होंने कहा कि कट्टरता भी दुनिया को खा रही है। शिक्षा ही समाज की कट्टरता के साथ-साथ जातिवाद, जातिवाद, प्रांतवाद और भाषावाद को भी नष्ट कर देगी। राष्ट्रवाद का निर्माण शिक्षा के बीज से होता है। भारतीय संस्कृति में ज्ञान की पूजा की जाती है। जैसे योग को पूरे विश्व में स्वीकार किया गया है, वैसे ही दिन दूर नहीं जब गीता के सिद्धांत यूएनओ में भी स्वीकार किये जायेंगे।
इस अवसर पर गुजरात राज्य आचार्य संघ के अध्यक्ष भानुप्रसाद पटेल, शहर शाला संचालक मंडल के अध्यक्ष दिनकर नायक, गुज. आचार्य संघ के अध्यक्ष जयप्रकाश पटेल, शहर प्रमुख संघ के अध्यक्ष किशोर जानी, वीएनएसजीयू के चांसलर डॉ.किशोरसिंह चावड़ा, सूरत जिला शाला संचालक मंडल के अध्यक्ष संजय देसाई शिक्षा विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे।

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