पाकिस्तान का POK के साथ शांति समझौता एक मुखौटा !

श्रीनगर , 7 अक्टूबर 2025 !  पाकिस्तान द्वारा हाल ही में पाकिस्तान-अधिकृत जम्मू और कश्मीर (PoJK) में प्रदर्शनकारियों के साथ किया गया “शांति समझौता” एक हताश और खोखला कदम माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य समय खरीदना, वैश्विक समुदाय को गुमराह करना और क्षेत्र में दशकों से जारी उत्पीड़न को छिपाना है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा एक पोस्ट में मानवाधिकार कार्यकर्ता तस्लीमा अख्तर ने कहा कि वर्षों से पी.ओ.जे.के. और पाकिस्तान-अधिकृत गिलगित-बाल्टिस्तान (पी.ओ.जे.बी) के निवासी पाकिस्तान के अवैध कब्जे के तहत रह रहे हैं। वे राजनीतिक हाशिए पर धकेले जाने, आर्थिक अभाव और बुनियादी मानवाधिकारों से पूरी तरह वंचित होने का सामना कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना लगातार नागरिकों पर हिंसा और डराने-धमकाने की नीति अपनाती रही है। शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को प्रताड़ित करना, यातनाएँ देना और अंधाधुंध बल प्रयोग करना उसकी आम रणनीति बन चुकी है। उन्होंने कहा कि इन कार्रवाइयों ने एक बार फिर पाकिस्तान की कपटपूर्ण नीतियों और लोकतांत्रिक सिद्धांतों व मानवीय मूल्यों के प्रति उसके अनादर को उजागर किया है।

इस्लामाबाद द्वारा शांति और विकास लाने के बार-बार दावों के बावजूद, ज़मीनी हकीकत कुछ और ही कहानी बयाँ  करती है। पाकिस्तान घोर गरीबी में जीते हुए अपने ही लोगों के क्षेत्र के समृद्ध प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करता रहता है। तस्लीमा अख्तर ने कहा कि तथाकथित ‘शांति समझौते’ स्थानीय आबादी की जायज़ शिकायतों का समाधान करने के बजाय,  झूठे आश्वासनों और दुष्प्रचार के ज़रिए इन क्षेत्रों पर इस्लामाबाद की पकड़ बनाए रखने के लिए राजनीतिक हथियार मात्र हैं।

पी.ओ.जे.के. और पी.ओ.जी.बी. के लोगों में बढ़ता असंतोष बाहरी प्रभाव से नहीं, बल्कि पाकिस्तान के अपने भ्रष्टाचार, अन्याय और दमनकारी शासन से प्रेरित है। उनका गुस्सा सैन्य प्रभुत्व के तहत वर्षों से चले आ रहे शोषण और दमन से उपजा है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इसके प्रमुख  कारण भारत के वे दो ( PoJK और PoGB) अभिन्न अंग हैं, जिन पर पाकिस्तान ने सैन्य आक्रमण और निरंतर उल्लंघनों के ज़रिए जबरन कब्ज़ा कर लिया है।

संयुक्त राष्ट्र, वैश्विक मानवाधिकार संगठनों और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अपील की गयी है कि वे पाकिस्तान को नागरिकों के विरुद्ध उसके अपराधों और इस क्षेत्र पर उसके अवैध नियंत्रण के लिए जवाबदेह ठहराएँ। जम्मू-कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान के लोग वास्तविक न्याय, स्वतंत्रता और सम्मान चाहते हैं,  न कि भ्रामक शांति समझौते। जैसे-जैसे वैश्विक ध्यान एक बार फिर इस कारण की ओर मुड़ रहा है, एक सच्चाई स्पष्ट हो रही है – पाकिस्तान के मनगढ़ंत आख्यान उसके दमनकारी शासन से आज़ादी की बढ़ती माँग को छिपा नहीं सकते।

 

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