केंद्रीय मंत्री के नाम से फ़र्ज़ी चिट्ठी बना पुणे का प्रोफेसर हुआ गिरफ्तार !

पुणे, 22 सितम्बर 2025 ! महाराष्ट्र के पुणे स्थित एक कॉलेज में केमिस्ट्री के एक एसोसिएट प्रोफेसर को कथित तौर पर एक फर्जी पत्र बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, जिसमें दावा किया गया था कि उसे भारत सरकार की मिनिस्ट्री आफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा स्थापित प्रतिष्ठित शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार के लिए चुना गया है। पुणे पुलिस ने सोमवार को इसकी जानकारी दी।

एक अधिकारी ने बताया कि वाघोली के एक कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह यादव (40) को रविवार को भारतीय न्याय संहिता की धारा 318 (4) (धोखाधड़ी), 336 (जालसाजी) और अन्य संबंधित धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया। आरोपी प्रोफेसर वीरेंद्र सिंह यादव मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मथुरा के रहने वाले हैं। उनको पुलिस ने अदालत में पेश किया जहाँ से उन्हें 26 सितंबर तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।

DCP सोमय मुंडे के अनुसार विवाद तब शुरू हुआ जब 13 सितंबर 2025 को एक पत्र शोधकर्ताओं के बीच प्रसारित होने लगा। इस पत्र में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह के फर्जी हस्ताक्षर थे जिसमें वीरेंद्र से यादव के 2025-26 भटनागर पुरस्कार के लिए चयन की पुष्टि की गयी थी। हालाँकि शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार को 2023 में बंद कर दिया गया था और इसे राष्ट्रीय विज्ञान पुरस्कार से बदल दिया गया था जिसके कारण वैज्ञानिक समुदाय में संदेह पैदा हुआ।

वीरेंद्र सिंह यादव ने कथित तौर पर यह दस्तावेज दस्तावेज CSIR नेशनल केमिकल लैबोरेट्री (NCL) के अपने प्रिंसिपल और सहयोगियों को दिखाया जिन में से एक ने इसकी तस्वीर ली और इसे गुरुग्राम में एक परिचित को भेज दिया। जिसने बाद में इसे एक प्रोफेशनल नेटवर्किंग वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जिसके बाद दिल्ली में अधिकारियों का ध्यान इस और गया।

पुलिस ने बताया कि NCL को सत्यापन करने का निर्देश दिया गया, जिसके बाद उनके सुरक्षा और प्रशासनिक अधिकारियों ने वाघोली के उसे संस्थान का दौरा किया जहाँ वीरेंद्र सिंह यादव ने जाली दस्तावेज प्रस्तुत करने की बात स्वीकारी और बताया कि उसने विज्ञान के क्षेत्र में उच्च पद पाने के लिए कथित तौर पर जाली पत्र बनाया था। अधिकारियों को पत्र में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के जाली हस्ताक्षर मिले।

जाँच अधिकारी सब इंस्पेक्टर संदीप करपे ने बताया कि वीरेंद्र सिंह यादव जो ऑन्कोलॉजी मेडिसिन पर रिसर्च में लगे हैं और अक्सर मुंबई के एक कैंसर ट्रीटमेंट हॉस्पिटल का दौरा करते हैं। उन्होंने दावा किया कि 9 सितंबर को एक अज्ञात व्यक्ति ने उन्हें यह पत्र सौंपा था। जाँच में यह भी पता चला कि 2025 और 2026 के उक्त घोषित विज्ञान पुरस्कार के लिए भी किसी का चयन नहीं किया गया था।

पुलिस ने वीरेंद्र सिंह यादव के खिलाफ जलसाजी और धोखाधड़ी के आरोप में मामला दर्ज किया है ।
DCP सोमय मुंडे ने कहा, ‘‘हम मामले की जाँच कर रहे हैं। हम यह भी पता लगा रहे हैं कि क्या इस मामले में कोई और व्यक्ति भी शामिल है या नहीं।’’

 

 

 

CSIR-NCLForged Sign.PuneV.S.YadavVagholi