राहुल गाँधी ने की भेंट- संसद भवन परिसर में देश भर से आए श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों से !

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी ने शुक्रवार को संसद भवन परिसर स्थित जन संसद में देश भर से आए श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। इस दौरान श्रमिक संगठनों ने चार नए श्रम संहिताओं (लेबर कोड्स) को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की। बातचीत का मुख्य केंद्र श्रमिक अधिकारों, सामूहिक सौदेबाज़ी और संगठित श्रम के भविष्य पर इन कानूनों के प्रभाव को लेकर रहा।  

नई दिल्ली, 13 दिसंबर 2025 ! लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी ने शुक्रवार को संसद भवन परिसर स्थित जन संसद में देश भर से आए श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात की। इस दौरान श्रमिक संगठनों ने चार नए श्रम संहिताओं (लेबर कोड्स) को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की। बातचीत का मुख्य केंद्र श्रमिक अधिकारों, सामूहिक सौदेबाज़ी और संगठित श्रम के भविष्य पर इन कानूनों के प्रभाव को लेकर रहा।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर साझा एक पोस्ट में राहुल गाँधी ने लिखा कि आज जन संसद में देश भर के श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक हुई, जिसमें नए श्रम संहिताओं पर गंभीर और विस्तृत चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि श्रमिक संगठन इन चार नए श्रम कानूनों को लेकर अत्यंत चिंतित हैं।

राहुल गांधी के अनुसार, श्रमिक संगठनों का मानना है कि ये कानून श्रमिकों और उनके संगठनों के अधिकारों को कमजोर करने तथा उनकी आवाज़ को दबाने के उद्देश्य से बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि श्रमिक संगठनों के सुझावों को ध्यानपूर्वक सुना गया और उन्हें आश्वस्त किया गया कि इस चर्चा को आगे बढ़ाते हुए उनकी आवाज़ उठाई जाएगी।

इससे पहले शुक्रवार को ही राहुल गाँधी ने उत्तर भारत सहित देश के अन्य हिस्सों में बढ़ते वायु प्रदूषण संकट का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने इस समस्या से निपटने के लिए एक व्यवस्थित और दीर्घकालिक समाधान निकालने हेतु संसद में विस्तृत चर्चा की मांग की।

लोकसभा को संबोधित करते हुए राहुल गाँधी ने कहा कि देश के अधिकांश बड़े शहर “ज़हरीली हवा की चादर” में जी रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि लाखों बच्चे फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं और आने वाली पीढ़ियों का स्वास्थ्य गंभीर खतरे में है।

राहुल गाँधी ने कहा, “यह कोई वैचारिक मुद्दा नहीं है,” और इस बात पर ज़ोर दिया कि वायु प्रदूषण एक ऐसी चुनौती है, जिस पर सरकार और विपक्ष मिलकर साझा समाधान निकाल सकते हैं। राहुल गाँधी ने राजनीतिक कटुता से मुक्त, संसद में रचनात्मक बहस का प्रस्ताव रखा और इसके बाद प्रधानमंत्री के नेतृत्व में शहर-वार, चरणबद्ध और सुनियोजित कार्ययोजना बनाने की बात कही, ताकि अगले पाँच से दस वर्षों में प्रदूषण की समस्या से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।