
राहुल गाँधी की पुणे कोर्ट से प्राण रक्षा की गुहार !
पुणे कोर्ट में सावरकर मानहानि केस में प्रस्तुत हुए राहुल गांधी ने कोर्ट से निवेदन किया कि गोडसे के परिवार से उन्हें जान का खतरा है। राहुल गांधी ने कहा कि मुझे नुकसान पहुँचाया जा सकता है। झूठे मामले में फँसाया जा सकता है या अन्य तरीकों से निशाना बनाया जा सकता है।
पुणे, १३ अगस्त ! पुणे कोर्ट में सावरकर मानहानि केस में प्रस्तुत हुए राहुल गांधी ने कोर्ट से निवेदन किया कि गोडसे के परिवार से उन्हें जान का खतरा है। राहुल गांधी ने कहा कि यह स्पष्ट, तार्किक और ठोस आशंका है कि मुझे नुकसान पहुँचाया जा सकता है। झूठे मामले में फँसाया जा सकता है या अन्य तरीकों से निशाना बनाया जा सकता है। शिकायतकर्ता के परिवार का हिंसा से जुड़ा इतिहास है। इतिहास को खुद को दोहराने के लिए इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। यह बयान उन्होंने महात्मा गांधी की हत्या के संदर्भ में दिया। उन्होंने यह भी कहा कि वोट चोरी के आरोप ने उनके राजनीतिक विरोधियों को भड़का दिया है। उन्होंने दावा किया कि बीजेपी की तरफ से उन्हें दो सार्वजनिक धमकियाँ मिल चुकी हैं । राहुल के वकील मिलिंद पवार ने याचिका में बताया है कि इसमें केंद्रीय मंत्री रविनीत सिंह बिट्टू ने उन्हें देश का नंबर वन आतंकवादी कहा । वहीं भाजपा नेता तरमिंदर सिंह मरवाह ने भी खुली धमकी देते हुए कहा है कि उनका भी हाल उनकी दादी जैसा हो सकता है।
राहुल गांधी ने MP/ MLA स्पेशल कोर्ट से अपील की है कि उनकी सुरक्षा और केस की निष्पक्ष सुनवाई के लिए प्रीवेंटिव प्रोटेक्शन दी जाये। यह राज्य की संवैधानिक जिम्मेदारी है। कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 10 सितंबर को करेगी। राहुल ने कहा , “महात्मा गांधी की हत्या एक सोची समझी साजिश थी और ऐसे पारिवारिक इतिहास को देखते हुए उन्हें नुकसान पहुँचाने या गलत तरीके से फँसाया जाने का खतरा है।” राहुल गांधी ने अदालत से आग्रह किया कि उनकी सुरक्षा के लिए इन खतरों को गंभीरता से लिया जाए क्योंकि उनकी जान को खतरा वास्तविक और गंभीर है।
उन्होंने हाल के अपने राजनीतिक बयानों का भी जिक्र किया जैसे संसद में 11 अगस्त को “वोट चोर कुर्सी छोड़” का नारा और चुनावी गड़बड़ियों के दस्तावेज पेश करना जिससे उनके राजनीतिक विरोधियों की नाराजगी बढ़ी है।
यह वाद अभी पुणे में एमपी/एमएलए स्पेशल कोर्ट में चल रहा है। सावरकर मानहानि मामले में दायर इस वाद में जनवरी 2025 में पुणे की यह एमपी/एमएलए स्पेशल कोर्ट, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में पेश होने के बाद, 25,000 रुपये के जमानत बांड पर जमानत दे चुकी है ।
इससे पूर्व राहुल गाँधी सावरकर पर एक नहीं बल्कि अनेक बार विवादित बयान दे चुके हैं। महाराष्ट्र के अकोला जिले में 17 नवंबर 2022 में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने एक रैली में सावरकर को लेकर टिप्पणी की थी। उन्होंने मीडिया के सामने एक चिट्ठी दिखाते हुए कहा था कि यह चिट्ठी वी.डी. (विनायक दामोदर सावरकर) ने अंग्रेजों को लिखी थी। इसमें उन्होंने खुद को अंग्रेजों का नौकर बने रहने की बात कही थी। साथ ही डर कर माफी भी मांगी थी। गांधी नेहरू ने ऐसा नहीं किया, इसलिए वे सालों तक जेल में रहे ।
मार्च 2023 में राहुल गांधी ने लंदन में एक भाषण में दावा किया था कि वी.डी. सावरकर ने एक किताब में लिखा था कि उन्होंने और उनके 5 से 6 दोस्तों ने एक बार एक मुस्लिम व्यक्ति की पिटाई की थी और उन्हें इससे खुशी हुई थी। इसी भाषण का हवाला देते हुए सावरकर के पोते सत्यकी सावरकर ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया है। इसी मामले में 3 जुलाई को पुणे में MP / MLA कोर्ट ने सावरकर के पौत्र सत्यकी सावरकर की वह याचिका ख़ारिज कर दी जिसमें उन्होंने राहुल गाँधी से वह पुस्तक दिखने की मांग की थी जिसमें उन्होंने सावरकर के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी की थी। जस्टिस अमोल शिंदे ने कहा कि उन्हें पुस्तक पेश करने के लिए विवश नहीं किया जा सकता।
राहुल ने कहा था गांधी नेहरू और पटेल कई साल जेल में रहे और कोई चिट्ठी साइन नहीं की। सावरकर जी ने इस कागज पर साइन किया उसका कारण डर था। अगर डरते नहीं तो कभी साइन नहीं करते। सावरकर ने जब साइन किया तो हिंदुस्तान के गांधी पटेल को धोखा दिया था। उन लोगों से भी कहा था कि गांधी और पटेल साइन कर दें।
14 जून 2023 को लखनऊ के रहने वाले एडवोकेट नृपेंद्र पांडे ने एडिशनल सीजेएम की अदालत में राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया था। अपनी शिकायत में पांडे ने आरोप लगाया कि राहुल ने अकोला में वीर सावरकर को अंग्रेजों का नौकर और पेंशन भोगी कहा था।
उन्होंने दावा किया कि प्रेस कॉन्फ्रेंस का एक न्यूज़ चैनल पर सीधा प्रसारण किया गया था और प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल पत्रकारों के बीच पहले से तैयार प्रेस नोट भी बाँटे गये थे। पांडे ने राहुल गांधी पर समाज में नफरत और अशांति फैलाने के इरादे से यह बयान देने का आरोप लगाया था ।
वहीँ सावरकर के पोते सत्यकी सावरकर ने कहा कि यह आवेदन काफी समय से समय पहले दायर किया गया था लेकिन जानबूझकर उनकी (राहुल की) ओर से मामले में देरी की जा रही है । राहुल गांधी का यह कदम पूरी तरह अप्रासंगिक है। अदालत पहले ही स्पष्ट कर चुकी है कि मामले की सुनवाई के लिए राहुल गांधी की व्यक्तिगत मौजूद की जरूरी नहीं है, इसके बावजूद भी वे कार्रवाई में देरी कर रहे हैं। उनका यह आवेदन मामले से किसी भी तरह से जुड़ा हुआ नहीं है और इसका कोई औचित्य नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने वीर सावरकर पर आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर 26 अप्रैल को राहुल गांधी को फटकार लगायी थी। कोर्ट ने कहा था कि हम स्वतंत्रता सेनानियों के खिलाफ किसी को अनाप-शनाप बोलने की इजाजत नहीं दे सकते। उन्होंने हमें आजादी दिलायी और हम उनके साथ क्या व्यवहार कर रहे हैं ! सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, “अगर आप आगे से ऐसा कोई बयान देंगे तो हम स्वतः संज्ञान लेकर कार्यवाई करेंगे। स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में गैर ज़िम्मेदाराना बयान मत दीजिए।
इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने सावरकर पर टिप्पणी के मामले में राहुल गांधी के खिलाफ ट्रायल कोर्ट के समन पर रोक लगा दी थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 4 अप्रैल को समन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। उसके बाद राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगायी थी ।