सूरत. शहर के दो प्रमुख उद्योग कपड़ा और हीरा उद्योग में से हीरा उद्योग बीते कुछ महीनों से मंदी के भंवर में फंसा हुआ है। इसका असर अब हीरा कारीगरों के जीवन पर भी देखने को मिल रहा है। इस दौरान हीरा उद्योग और हीरा कारीगर बहुल वराछा क्षेत्र से चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। क्षेत्र में स्थित नगर प्राथमिक शिक्षण समिति के 50 स्कूलों में पढ़ने वाले 603 विद्यार्थियों ने दीपावली वेकेशन के बाद अपना दाखिला रद्द करवाया है। इसे हीरा उद्योग की मंदी से जोड़ा जा रहा है तो शिक्षण समिति ने भी इसे गंभीरता से लेते हुए इसे लेकर जांच शुरू की है और वजह का पता लगाकर रिपोर्ट पेश करने का स्कूलों को आदेश दिया है।
सूरत शहर विश्व में डायमंड नगरी के तौर पर विख्यात है। दुनिया के 100 में से 90 हीरे सूरत में तराशे जाते हैं। शहर में कई बड़ी हीरा फैक्ट्रियां हैं, जिनमें लाखों हीरा कारीगर काम करते हैं लेकिन, पिछले कुछ समय से हीरा उद्योग बुरे दौर से गुजर रहा है। यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध समेत वैश्विक स्तर पर हुई घटनाओं से हीरा उद्योग का करारा झटका लगा है, जिससे हीरा उद्योग में मंदी का माहौल बना हुआ है। जिसके चलते इस बार दीपावली वेकेशन भी अधिक दिनों का रखा गया था, लेकिन दीपावली बाद भी हालात में सुधार देखने को नहीं मिल रहा। अब भी 40 फीसदी कारखाने ही शुरू हुए हैं। ऐसे में हीरा कारीगर बेरोजगार बैठे हैं। कई तो दीपावली पर अपने गांव जाने के बाद लौटे ही नहीं है। हीरा कारीगरों की आर्थिक स्थिति कमजोर होते जा रही है और इसका असर उनके जीवन पर भी पड़ते नजर आ रहा है। बच्चों के स्कूलों की फीस तक वे भर नहीं पा रहे हैं। इस दौरान नगर प्राथमिक शिक्षण समिति ने बताया कि दीपावली वेकेशन के बाद 18 नवंबर से स्कूलों में शिक्षा कार्य शुरू हुआ उसके बाद से अब तक अकेले वराछा क्षेत्र स्थित नगर प्राथमिक शिक्षण समिति के 50 स्कूलों से 603 विद्यार्थियों ने अपना प्रवेश रद्द करवाया है। इनमें अधिकतर हीरा कारीगरों के बच्चे हैं। बड़ी संख्या में विद्यार्थियों के प्रवेश रद्द के आंकड़े ने सभी को चौंका दिया है। इसे हीरा उद्योग में मंदी के साथ जोड़ कर देखा जा रहा है।
हीरा उद्योग में मंदी या और कोई वजह इसकी जांच शुरू
नगर प्राथमिक शिक्षण समिति के अध्यक्ष राजेंद्र कापड़िया ने बताया कि वराछा क्षेत्र हीरा कारीगर बहुल क्षेत्र है और यहां स्थित नगर प्राथमिक शिक्षण समिति के 50 स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों में सबसे अधिक संख्या हीरा कारीगरों के बच्चों की है। हीरा उद्योग में जिस तरह मंदी है और कई परिवार आर्थिक संकट में फंस चुके हैं ऐसे में बड़ी संख्या में विद्यार्थियों को स्कूलों से प्रवेश रद्द करवाना इसे मंदी के साथ जोड़ा जा सकता है। प्रवेश रद्द करवाने वाले सभी विद्यार्थियों ने पढ़ाई छोड़ दी यह कहना मुश्किल है। कई हीरा कारीगर दीपावली के बाद सूरत लौटे नहीं है, तब उन्होंने सौराष्ट्र में ही रहने का मन बना लिया हो और इसी वजह से बच्चों का प्रवेश यहां से रद्द करवा कर गांव के स्कूल में दाखिला लिया हो यह संभव है। हालांकि इसे लेकर स्कूलों को जांच कर रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है, जिससे सही वजह का पता चल सके।