प्रधानमंत्री की आज से जापान और चीन की यात्रा !

नयी दिल्ली, 28 अगस्त 2025 ! प्रधानमंत्री मोदी आज से जापान के तीन दिनों के दौरे पर रवाना हो रहे हैं। वह इस दौरान राजधानी टोक्यो में15वें भारत जापान शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इसके बाद वह जापान से सीधी चीन जाएँगे। भारत और जापान की लगभग एक जैसी चुनौतियों को देखतवे हुए पीएम मोदी के जापान दौरे को काफी अहम माना जा रहा है।

प्रधानमंत्री आज रात 8:30 बजे जापान के लिए रवाना हो रहे हैं। जापान के बाद मोदी 30 अगस्त को चीन जायेंगे, जहाँ वे 30 अगस्त से 1 सितंबर तक SCO की बैठक में हिस्सा लेंगे।

पीएम मोदी की जापान की यह आठवीं और जापान के प्रधानमंत्री श्री शिगेरु इशिबा के साथ पहली शिखर बैठक होगी। यह दौरा न केवल भारत जापान के बीच विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को मजबूत करेगा बल्कि अमेरिका के साथ बढ़ते व्यापारिक तनाव,चीन की क्षेत्रीय आक्रामकता और वैश्विक आर्थिक आवश्यकताओं के बीच भारत की राजनीतिक स्थिति को भी मजबूती देगा।

यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टेरिफ वॉर के बीच दुनिया भर में उथल-पुथल मची हुई है। भारत और जापान के बीच 2006 से विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी है जो रक्षा, व्यापार, प्रौद्योगिकी और दोनों के बीच परस्पर संबंधो पर आधारित है। यह यात्रा 15 वे भारत जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन का हिस्सा है जिसमें दोनों देश अपनी साझेदारी की समीक्षा करेंगे। जापान दरअसल पीएम मोदी के दौरे के दौरान भारत में अगले 10 वर्षों के लिए 10 ट्रिलियन येन के निजी निवेश की घोषणा करने की योजना बना रहा है। यह 2022 में घोषित 5 ट्रिलियन के पाँच वर्षीय लक्ष्य से दुगुना है ।

जापान भारत की मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के प्रयासों का प्रमुख समर्थक है। भारत में चार वर्षो से सबसे बड़ा कार निर्यातक मारुति सुजुकी अब इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्यात शुरू कर रहा है। गुजरात में हाल ही में शुरू हुआ हाइब्रिड बैटरी प्लांट इसका उदाहरण है। भारत और जापान का यह साझा उद्यम दोनों देशों के बीच मज़बूत और विश्वसनीय साझेदारी का प्रतीक है।

इसके साथ ही अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन परियोजना भारत की सबसे बड़ी इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं में से एक है। दोनों देश एक नये आर्थिक सुरक्षा ढाँचे पर सहमत हो सकते है, जो सेमीकंडक्टर, दुर्लभ खनिज और स्वच्छ ऊर्जा की आपूर्ति (सप्लाई) को सुनिश्चित करेगा। यह भारत की चीन पर निर्भरता को कम करने की रणनीति का हिस्सा है।

भारत और जापान, दोनों ही QUAD (भारत, जापान, अमेरिका ऑस्ट्रेलिया) के सदस्य हैं इसका उद्देश्य हिंद प्रशांत क्षेत्र में नियम आधारित व्यवस्था और स्थिरता को बढ़ावा देना है। यह यात्रा क्वाड के एजेंडे पर चर्चा के लिए एक अवसर होगा, खासकर जब भारत 2025 के अंत में क्वाड शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने जा रहा है।

इसके अतिरिक्त दोनों देश नियमित रूप से मालाबार नौसैनिक अभ्यास में भाग लेते हैं। भारतीय और जापानी नौसेना जहाज मरम्मत और अन्य रक्षा सहयोग की भी सम्भावनाएँ तलाश रही हैं।

ट्रम्प सरकार ने भारत पर 50 % टैरिफ लगा दिया है, जापान पर भी 15 % टेरिफ का सामना कर रहा है। यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि जापान के व्यापारिक वार्ताकार रयोसेई अकाजावा ने हाल ही में प्रशासनिक कारणों से अमेरिका की यात्रा भी रद्द कर दी है। इस संदर्भ में भारत और जापान का यह गठजोड़ अमेरिकी दबाव का जवाब देने की भी रणनीति है।

इधर जबकि भारत और जापान दोनों ही चीन की क्षेत्रीय आक्रामकता से प्रभावित हैं, भारत को अपनी SCO भागीदारी और जापान के साथ रणनीतिक साझेदारी के बीच संतुलन बनाना होगा। भारत की रेयर अर्थ और सेमीकंडक्टरजैसे क्षेत्रों में चीन पर निर्भरता एक चुनौती है जिसे जापान के सहयोग से भारत दूर करने का प्रयास करेगा।

दोनों देश हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता, जैसे कि दक्षिण चीन सागर में सैन्य गतिविधियाँ के साथ भारत को रेयर अर्थ की आपूर्ति रोके जाने की स्थिति का सामना कर रहे हैं। जापान की 68 अरब $ की निवेश योजना और AI सहयोग की ओर बढ़ता कदम भारत को चीन पर निर्भरता कम करने में मदद करेगी।

भारत अपनी मल्टी एलाइनमेंट नीति के तहत जापान जैसे सहयोगियों के साथ संबंधों को गहरा कर रहा है ताकि अमेरिका और चीन जैसे बड़े खिलाड़ियों के बीच संतुलन बनाए रख सके। यह यात्रा भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को मजबूत करने की ओर एक कदम है।

भारत और जापान दोनों स्वतंत्र और खुले हिंद प्रशांत के समर्थक हैं जो चीन की विस्तारवादी नीतियों के खिलाफ एक रणनीतिक दृष्टिकोण है।
यह यात्रा क्षेत्र में शांति, स्थिरता और नियम आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देगी ।

बता दे की पीएम मोदी का यह दौरा जापान द्वारा चीन की 3 सितंबर से होने वाली सैन्य परेड से ठीक पहले हो रहा है जो द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के आत्म समर्पण की 80 भी वर्षगाँठ के समय आयोजित होगी। जापान ने इस परेड को जापान विरोधी कर दिया है और कई देशों से इसमें शामिल नहीं होने का भी अनुरोध किया है।

 

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