कठुआ (जम्मू और कश्मीर), 24 अगस्त ! जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में जम्मू-पठानकोट राजमार्ग के पास सहार खाद नदी पर बना पुल लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के बाद गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गया है । बीती रात हुई भारी बारिश ने हालात बिगाड़ दिये हैं। नदी में बढ़ते जलस्तर और तेज बहाव के कारण पुल का एक हिस्सा झुक गया, जिससे यात्रियों की साँसें थम सी गयीं । यह पुल कठुआ जिले के कई गाँवों और कस्बों को जोड़ने वाला अहम मार्ग है। उस क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश के चलते नदी में पानी लगातार बढ़ता जा रहा है और उफान पर आ गया। जिसके कारण यह पुल क्षतिग्रस्त हो गया। इस घटना के कारण इस महत्वपूर्ण मार्ग पर यातायात बंद हो गया है। स्थानीय प्रशासनिक टीमें हालात पर नज़र बनाए हुए हैं।
रातभर हुई मूसलाधार बरसात ने जहाँ निचले इलाकों को जलमग्न कर दिया, वहीं जम्मू-पठानकोट राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात भी थम गया। सहार खाद नदी पर बना पुल टूटने के कगार पर आ गया, जिसके बाद वहाँ आवाजाही को बंद करना पड़ा। सड़क का दूसरा हिस्सा पहले चालू था लेकिन बाद में उसपर भी दरारें आ गयीं , जिसके बाद प्रशासन ने रोड के दूसरे भाग को भी बंद कर दिया। हालाँकि लोगों को पुल को पैदल पार करने की इजाजत दी गयी है। लोग पुल के दोनों तरफ अपनी गाडियाँ छोड़, भारी-भरकम सामान लेकर पैदल चलने को मजबूर हैं। इस पुल को नुकसान पहुँचने से स्थानीय लोगों के अलावा पर्यटक और मेडिकल स्टाफ को काफी दिक्कतों का सामन करना पड़ रहा है।
प्रशासन ने एहतियातन इस पुल पर सभी प्रकार के वाहनों की आवाजाही रोक दी है। कठुआ जिला प्रशासन ने आसपास के गाँवों को अलर्ट जारी करते हुए लोगों से वैकल्पिक मार्ग अपनाने की अपील की है। साथ ही, आपदा प्रबंधन दल और तकनीकी विशेषज्ञों को मौके पर भेजा गया है ताकि पुल की सुरक्षा और मरम्मत के विकल्पों का आकलन किया जा सके । मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे तक क्षेत्र में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। ऐसे में पुल की मरम्मत और यातायात बहाली चुनौतीपूर्ण हो सकती है। कठुआ के उपायुक्त ने कहा कि प्राथमिकता लोगों की सुरक्षा है और जब तक पुल की स्थिति स्थिर नहीं हो जाती, तब तक आवाजाही पूरी तरह बंद रहेगी ।
सेना की राहत टुकड़ियों और इंजीनियर दस्ते को तुरंत झोर खड्ड और बगरा गाँव जैसे सबसे प्रभावित क्षेत्रों में लगाया गया है ।
वर्षा का तांडव इस बार हिमालय में भारी प्रलय मचा रहा है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में तबाही मचने के बाद अब जम्मू – कश्मीर में वर्षा का उत्पात चल रहा है। इससे पहले, 17 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में बादल फटने की घटना में सात लोगों की मौत हो गयी थी और 11 लोग घायल हो गये थे। अचानक आयी बाढ़ के साथ बड़े पैमाने पर भूस्खलन और जलभराव के कारण अनेक लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा और बुनियादी ढाँचे को भारी नुकसान पहुँचा।
इससे पूर्व भी मचैल माता यात्रा के दौरान 14 अगस्त को बादल फटने की घटना से अचानक बाढ़ आ गयी थी जिसमें कम से कम 55 लोगों की जानें गयीं। इस घटना के बाद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने 19 अगस्त को कहा था कि अब किसी भी जीवित व्यक्ति को ढूँढ पाना लगभग असंभव है। उन्होंने कहा कि यह आपदा ग्लेशियर झील टूटने से नहीं, बल्कि बादल फटने के कारण हुई है। मुख्यमंत्री ने कहा, “लापता लोगों को जीवित मिल पाना अब लगभग असंभव लगता है। ऐसी स्थिति में हम जितने अधिक शव निकाल पाएँगे, उन्हें उनके परिजनों को सौंपने की कोशिश करेंगे।”
जम्मू-कश्मीर सरकार ने आदेश जारी किये हैं कि बारिश के बाद जम्मू में सोमवार को एहतियात के तौर पर सभी स्कूल और कॉलेज बंद रहेंगे।