नई दिल्ली, 4 दिसंबर 2025 ! रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 23वें भारत–रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लेने आज शाम को नई दिल्ली पहुँच रहे हैं। रूसी राष्ट्रपति का यह राजकीय दौरा बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बीच पहली बार भारत आ रहे हैं। पुतिन अपने दो दिवसीय भारत दौरे में भारत रूस के देश में वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे।
इस दौर से ठीक पहले रूस ने भारत के साथ सहयोग मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। रूस के संसद ड्यूमा ने भारत के साथ एक महत्वपूर्ण रक्षा समझौता Reciprocal Exchange Of Logistics Support (RELOS) को मंज़ूरी दी है। दोनों ही देश खास कर भारत के लिए यह समझौता बेहद अहम मान जा रहा है।
पुतिन के भारत दौरे की जानकारी देते हुए रूसी राष्ट्रपति भवन क्रेमलिन की तरफ से जो बयान जारी किया गया है उसमें कहा गया है कि राष्ट्रपति का भारत द्वारा विशेष अधिकार प्राप्त स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप के लिए बहुत अहम है।
उनकी यह यह छतीस घंटे की यात्रा 4–5 दिसंबर के दौरान होनी है, और इसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत, रक्षा-सहयोग, ऊर्जा, व्यापार और अन्य महत्वपूर्ण समझौतों पर चर्चा शामिल है। विशेष रूप से, दोनों देश संभावित रक्षा समझौतों , जैसे कि पाँचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट Su-57, मिसाइल रक्षा प्रणाली S-400, साथ ही लॉजिस्टिक सहयोग समझौता (RELOS Agreement) पर चर्चा कर सकते हैं।
ऊर्जा और आर्थिक साझेदारी भी एजेंडे में प्रमुख रहेगी। पुतिन की यात्रा के मद्देनज़र, रूस और भारत के बीच कई अंतर-सरकारी समझौतों और वाणिज्यिक डील्स पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है। दौरे का एक अन्य प्रमुख उद्देश्य दोनों देशों के बीच रक्षा, ऊर्जा, विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में सामंजस्य बनाना है, विशेष रूप से, पश्चिमी दबाव व रूस पर प्रतिबंधों के इस दौर में।
इस दौरे की अहमियत और भी बढ़ जाती है क्योंकि यह पुतिन की उस यात्रा के बाद पहला भारत दौरा है, जब रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ था। इसलिए यह तय करेगा कि भारत और रूस अपने पारंपरिक रिश्ते को किस तरह आगे ले जाना चाहते हैं। इससे रक्षा साझेदारी (जैसे Su-57, S-400, RELOS) मजबूत होने से भारत की सैन्य ताकत और भविष्य की रक्षा नीतियों पर असर हो सकता है।
देश के भू राजनीतिक विशेषज्ञों की सकारात्मक नज़र भीं इस दौरे पर बनी हुई है। सामरिक मामलों के विशेषज्ञ डॉक्टर ब्रह्मा चेलानी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म x पर लिखते हैं कि प्रतिनिधि समूह में बँटी दुनिया में पुतिन का भारत दौरा एक सामान्य कूटनीतिक दौरा नहीं बल्कि एक मजबूत भू-राजनीतिक बयान है। वे लिखते हैं, “यह यात्रा महत्वपूर्ण समझौतों को जन्म देगी जिन में नए पेमेंट सिस्टम शामिल है जो स्विफ्ट (SWIFT) प्रणाली को बाईपास करने और अमेरिकी डॉलर के प्रभुत्व को कम करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। पुतिन का यह दौरा दर्शाता है कि रूस के पास अभी चीन के अलावा विकल्प हैं और वह खुद को बीजिंग का छोटा भागीदार नहीं बनने देगा।”
इसके अतिरिक्त ऊर्जा और व्यापार डील्स, विशेष रूप से कोविड के बाद वैश्विक अस्थिरता और पश्चिमी प्रतिबंधों के बीच यह दौरा भारत की ऊर्जा जरूरतों व आर्थिक मजबूती के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। राष्ट्रपति पुतिन की यह यात्रा, चाहे वह रक्षा समझौते हों, ऊर्जा व व्यापार सौदे हों या सामरिक साझेदारी, आने वाले समय में भारत और रूस के द्विपक्षीय रिश्तों की दिशा तय करेगी।
इस यात्रा का नतीजा ,चाहे वह रक्षा समझौते हों, ऊर्जा व व्यापार सौदे हों या सामरिक साझेदारी , आने वाले समय में भारत और रूस के द्विपक्षीय रिश्तों की दिशा तय करेगा, जिसके लिए भारत और रूस, दोनों देश निश्चित रूप से सकारात्मक उम्मीद रखते हैं।