
वैदिक ध्वनि और मंत्र विज्ञान पर शोध के लिए ‘सनातन विजडम’ की स्थापना
नई दिल्ली, अप्रैल 26 भारत की प्राचीन ध्वनि परंपरा और मंत्र विज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से पुनः स्थापित करने के उद्देश्य से सनातन विजडम फाउंडेशन Sanatan Wisdom Foundation (SWF) की स्थापना की गई है। इस पहल के पीछे भारतीय दार्शनिक, लेखक और आध्यात्मिक शोधकर्ता देवऋषि Devrishi का नेतृत्व है, जो भारतीय संस्कृति की ध्वनि परंपरा को वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने का संकल्प लेकर आगे बढ़ रहे हैं।
फाउंडेशन का उद्देश्य वैदिक मंत्र विज्ञान और ध्वनि आधारित उपचार प्रणालियों का गहन अनुसंधान करना है, ताकि ध्वनि, चेतना और मानव स्वास्थ्य के बीच के संबंधों को आधुनिक विज्ञान के परिप्रेक्ष्य में प्रमाणित किया जा सके। संस्था यह मानती है कि मंत्रों की आवृत्तियाँ और ध्वनि कंपन केवल धार्मिक या सांस्कृतिक साधना नहीं, बल्कि चेतना जागरण और चिकित्सा विज्ञान के वास्तविक उपकरण हो सकते हैं। इसी दिशा में कार्य करते हुए फाउंडेशन के अंतर्गत सोनिक रिसर्च काउंसिल Sonic Research Council (SRC) की स्थापना की गई है, जो मंत्र आधारित ध्वनि अनुसंधान को अपना मुख्य कार्यक्षेत्र बनाएगी।
सोनिक रिसर्च काउंसिल में ब्रेनवेव एनालिसिस, बायोफ्रीक्वेंसी ट्रैकिंग और साउंड रेसोनेंस मैपिंग जैसी आधुनिक वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग कर मंत्रों के प्रभावों का परीक्षण किया जा रहा है। परिषद का प्रयास है कि किस मंत्र का किस मानसिक अवस्था, रोग या शारीरिक तंत्र पर किस प्रकार प्रभाव पड़ता है, इसे न्यूरोलॉजिकल और जैविक स्तर पर वैज्ञानिक रूप से सिद्ध किया जा सके। इस शोध का अंतिम लक्ष्य एक ऐसी ध्वनि आधारित उपचार प्रणाली विकसित करना है जो वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली में एक विकल्प के रूप में स्थान प्राप्त कर सके।
संस्था ने वैश्विक मंचों के साथ संवाद प्रक्रिया भी आरंभ कर दी है। सनातन विजडम फाउंडेशन की योजना है कि मंत्र और नाद आधारित चिकित्सा पद्धतियों को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), यूनेस्को (UNESCO), तथा भारत के प्रमुख शैक्षणिक और चिकित्सा अनुसंधान संस्थानों जैसे आईआईटी और एम्स के सहयोग से एक समग्र चिकित्सा मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जाए। इसके तहत फाउंडेशन ने अंतरराष्ट्रीय शोध प्रकाशनों, चिकित्सा सम्मेलनों और साउंड थेरेपी रिट्रीट्स के आयोजन की तैयारी भी प्रारंभ कर दी है।
देवऋषि, जो पहले संगीत और फ़िल्म उद्योग से जुड़े रहे हैं, ने स्वच्छ भारत अभियान जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रमों के लिए गीत-संगीत रचने के साथ-साथ तेलुगु फ़िल्म इंडस्ट्री में एक संगीत निर्माता के रूप में भी कार्य किया। वर्ष 2024 में ऋषिकेश यात्रा के दौरान प्राप्त आध्यात्मिक अनुभवों ने उनके जीवन की दिशा बदल दी। इसके उपरांत उन्होंने वैदिक मंत्र विज्ञान, नाद योग और चेतना आधारित उपचार को अपने शोध और साधना का केंद्र बनाया। देवऋषि की रचनाओं में ‘रामराजा’, ‘शकारी – विक्रमादित्य’, ‘नाद वेदांत’ और ‘साउंड कॉस्मोलॉजी’ जैसी महत्वपूर्ण कृतियाँ शामिल हैं, और वर्तमान में वे ‘श्रीकृष्ण पाथेय’ पर कार्य कर रहे हैं, जो श्रीकृष्ण के जीवन दर्शन को आधुनिक मानसिकता के अनुरूप प्रस्तुत करेगा।
सनातन विजडम फाउंडेशन की आगामी योजनाओं में मंत्र आधारित साउंड थेरेपी केंद्रों की स्थापना, ध्वनि प्रयोगशालाओं का निर्माण और वैश्विक शोध मंचों का विस्तार शामिल है। फाउंडेशन का दीर्घकालिक दृष्टिकोण है कि भारत की प्राचीन ध्वनि और मंत्र परंपरा को चिकित्सा और चेतना विकास के वैज्ञानिक संदर्भ में पुनः प्रतिष्ठित किया जाए, ताकि यह ज्ञान न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में स्वास्थ्य और चेतना के नए प्रतिमान गढ़ सके।