संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में अंतरराष्ट्रीय NGO द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ गंभीर आरोप !

जिनेवा [स्विट्ज़रलैंड], 13 सितम्बर 2025 ! संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के 60वें सत्र में, बुरुंडी स्थित एक अंतरराष्ट्रीय NGO Réveil communautaire d’assistance aux victimes की प्रतिनिधि फिदेंसिया इज़ाबायो ने पाकिस्तान के खिलाफ गंभीर आरोप लगाये हैं।

उन्होंने पाकिस्तान द्वारा अधिकृत जम्मू कश्मीर (PoJK) और गिलगित-बाल्तिस्तान के सन्दर्भ में कहा कि पाकिस्तान व्यवस्थित जनसांख्यिकीय बदलाव (demographic engineering) कर रहा है, जिसका उद्देश्य वहाँ की मूल पहिचान को मिटाना और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का उल्लंघन करना है।

परिषद को संबोधित करते हुए उन्होंने शांतिपूर्ण कार्यकर्ताओं जैसे बाबा जान की कैद और यातना की निंदा करते हुए कहा कि इन कार्यकर्ताओं को सिर्फ अपने घरों की रक्षा करने के कारण सज़ा दी गयी। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान लगातार ज़मीन हथिया रहा है, जिसके कारण परिवारों को विस्थापित होना पड़ रहा है।

वे कहती हैं कि विकास के नाम पर ज़मीन को बाहरी लोगों और सैन्य-सम्बद्ध कंपनियों को सौंप दिया जाता है। उन्होंने UNHRC के सम्मलेन में कहा, “2018 का गिलगित-बाल्तिस्तान आदेश, जिसे स्थानीय सहमति के बिना लागू किया गया था, इस रूप में उजागर किया गया कि यह (वहाँ के निवासी) समुदायों को उनके भूमि अधिकारों और राजनीतिक आवाज़ से वंचित करने का एक साधन है।”

इज़ाबायो ने आगे आरोप लगाया कि पाकिस्तान क्षेत्र की जनसांख्यिक संरचना को बदलने का प्रयास कर रहा है, जिसमें शिया-बहुल इलाकों में सुन्नी आबादी को बसाया जा रहा है। इसे उन्होंने जातीय सफ़ाये का एक रूप बताया, जो चौथे जिनेवा कन्वेंशन के अनुच्छेद 49 का उल्लंघन है।

उनके बयान ने शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों के हिंसक दमन की ओर भी ध्यान आकर्षित किया, जिसमें हुंजा में गिलगित-बाल्तिस्तान -चीन सीमा के पास व्यापारियों की कार्यवाही समिति (Traders ‘ Action Commette ) पर गोलीबारी (जो PoGB -चीन सीमा के पास है) और मुज़फ़्फराबाद व मीरपुर में अपनी कल्याण संबंधी शिकायतों को लेकर प्रदर्शन कर रहे पुलिसकर्मियों का अपमान शामिल है।

पाकिस्तान-अधिकृत गिलगित-बाल्तिस्तान (PoGB) में दियामेर भाशा बांध के निर्माण के लिए विस्थापन से उपजे विरोध प्रदर्शनों को भी पाकिस्तान द्वारा स्थानीय आवाज़ों की अनदेखी का सबूत बताया गया।

उनकी गवाही के अनुसार, स्कर्दू, गिलगित और शिगर का जन समुदाय भय में जी रहा है, क्योंकि उनकी ज़मीनें, जंगल और रोज़गार छीने जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि शिगर की 7,000 कनाल ज़मीन गैर-कानूनी तरीके से बाहरी लोगों को स्थानांतरित कर दी गयी, जिससे पारंपरिक कानून और मानव गरिमा की अवहेलना हुई।

स्थिति को “सबसे गंभीर मानवाधिकार संकट” बताते हुए, इज़ाबायो ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) से PoJK और PoGB में तत्काल और निर्बाध पहुँच की माँग की, ताकि तटस्थ रूप से कार्यरत अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) और तथ्यान्वेषी मिशनों को पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत गिलगित-बाल्तिस्तान जाने की अनुमति मिल सके।

 

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