दुनिया के सबसे महंगे उपग्रह NISAR का आज ISRO ने किया प्रक्षेपण !

ISRO  और NASA ने मिलकर आज एक विशेष सैटेलाइट लॉन्च किया है। ISRO और NASA के  संयुक्त मिशन में प्रक्षेपित इस उपग्रह , जिसका नाम Nasa Isro Synthetic  Aperture  Radar ( NISAR , निसार) है, को अंतरिक्ष में भेजने के लिए ISRO के GSLV – F16 राकेट का इस्तेमाल किया गया है। इस मिशन पर 1.5 बिलियन डॉलर यानि करीब 12,500 करोड़ रुपये खर्च हुए है।

श्री हरिकोटा, आंध्रप्रदेश, 30 जुलाई !  भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO)  और अमेरिका अंतरिक्ष एजेंसी (NASA ) ने मिलकर आज एक विशेष सैटेलाइट लॉन्च किया है।ISRO और NASA के  संयुक्त मिशन में प्रक्षेपित इस उपग्रह , जिसका नाम Nasa Isro Synthetic  Aperture  Radar ( NISAR , निसार) है, को अंतरिक्ष में भेजने के लिए ISRO के GSLV – F16 राकेट का इस्तेमाल किया गया है। प्रक्षेपण के लगभग 18 मिनट बाद NISAR सॅटॅलाइट राकेट से अलग हो गया। बताया जाता है कि यह विश्व का अब तक का सबसे महंगा और शक्तिशाली उपग्रह है। इस मिशन पर 1.5 बिलियन डॉलर यानि करीब 12,500 करोड़ रुपये खर्च हुए है।

एक पिकअप ट्रक के जितने आकार वाला यह सैटेलाइट धरती से करीब 743 किलोमीटर ऊपर सूरज सिंकृत कक्षा में घूमेगा और प्रतिदिन 14 बार पृथ्वी की परिक्रमा करेगा। NISAR सैटेलाइट हर 6 दिन में लगभग पूरी धरती की सतह और बर्फीले इलाकों को स्कैन करेगा। इस मिशन का मकसद पृथ्वी पर आने वाली भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी, बाढ़, भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी करना, वनस्पति  व फसलों की स्थिति और मिट्टी की नमी को समझना, समुद्र की बर्फ और तूफानों पर नजर रखने के साथ ग्लेशियर तथा जलवायु परिवर्तन के असर को जानना है। बादल, धुंध ,बारिश, बर्फ़बारी आदि कुछ भी इसकी नज़रों से बच नहीं पायेँगे।

NISAR सैटेलाइट दुनिया का पहला ऐसा सेटेलाइट है  जिसमें  दो अलग-अलग राडार लगे हुए हैं। इनमें से एक NASA का L बैंड और दूसरा ISRO का S बैंड है। यह दोनों राडार मिलकर पृथ्वी की पूरी निगरानी करेंगे। पृथ्वी के किसी भी भाग में हो रही किसी भी हलचल को परख कर उसकी जानकारी वैज्ञानिकों तक पहुँचायेंगे। यह राडार धरती की सतह पर मौजूद चीजों की नमी बनावट और हलचल पर बहुत बारीकी से नजर रखेगा। NASA ने इस NISAR सेटेलाइट में 12 मीटर का एक लंबा एंटीना फिट किया है जो सेटेलाइट सिस्टम से जुड़ा हुआ है,  जिससे सैटेलाइट इतनी बारीकी से काम करता है कि धरती पर सिर्फ 1 सेंटीमीटर की हलचल को भी पकड़ सकता है।

इस मिशन से प्राकृतिक संसाधनों और आपदाओं पर पूरी तरह से नज़र रखते हुए उन से निपटने में अपूर्व सहायता मिलेगी।  यह मिशन अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते जा रहे सहयोग का एक उदाहरण है। मिशन का टाइम न्यूनतम 3 वर्ष NASA के लिए और 5 वर्ष ISRO के लिए तय किया गया है।