नयी दिल्ली। सोमवार, 30 जून । भारत के थल-सेना अध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने आज भूटान की राजकीय यात्रा के लिए प्रस्थान किया। भारतीय सेना के अनुसार इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच रण क्षेत्र में स्थाई द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देना है। यह यात्रा भारत और भूटान के मध्य गहरे संबंधों को दर्शाती है और पड़ोसी देश के प्रति भारतीयों की प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है। भारतीय सेना ने आज X पर पोस्ट करके यह सूचना दी।
जनरल द्विवेदी 2 जुलाई को अपनी यात्रा पूर्ण कर भारत लौटेंगे।
भारत और भूटान के संबंध सदैव सौहार्दपूर्ण, विश्वासपूर्ण और ऐतिहासिक रहे हैं। यह संबंध अद्वितीय व अनुकरणीय रहे हैं जो आपसी समझ विश्वास और सद्भावना पर टिके हैं। इन संबंधों की नींव मैत्री और सहयोग की संधि, जिस पर 1949 में दोनों से दोनों देशों के द्वारा हस्ताक्षर किए गये थे, पर टिकी है, जो 2007 में दोबारा नवीनीकृत की गयी।
उसके बाद भूटान के प्रधानमंत्री दिसंबर 2018 में भारत आये और मई 2019 में नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में फिर से भाग लिया।
वर्ष 2019 के बाद, इन संबंधों में कई महत्वपूर्ण प्रगति और घटनाएँ देखने को मिलीं । अगस्त 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूटान की यात्रा की। यह उनके दूसरे कार्यकाल की पहली द्विपक्षीय यात्रा थी। प्रधानमंत्री की इस यात्रा से संबंधों की प्राथमिकता स्पष्ट हुई। दोनों देशों ने “पड़ोसी पहले” (“Neighbourhood First”) की नीति पर बल दिया। भारत और भूटान के शीर्ष नेतृत्व के बीच लगातार संवाद आगे भी बना रहा । भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने भी कई बार भारत यात्रा की।
विभिन्न क्षेत्रों में भारत-भूटान सहयोग:-
आर्थिक :- आर्थिक एवं विकास में सहयोग को मजबूत करने लिए भारत भूटान को हर पंचवर्षीय योजना में वित्तीय सहयोग देता है। 12वीं पंचवर्षीय योजना (2018–2023) में भारत ने 5000 करोड़ से अधिक की सहायता दी। भूटान में रुपे कार्ड (RuPay) और BHIM ऐप कार्ड लॉन्च किया गया। दोनों देशों के नागरिकों को सुविधा के लिए डिजिटल पेमेंट प्रणाली को मजबूत किया गया।
यात्रा एवं पर्यटन:- भूटान भारत के उत्तर-पूर्व राज्यों से सड़क मार्ग से जुड़ा है। भारत और भूटान के बीच रेलवे संपर्क की योजना पर भी काम जारी है, खासकर असम से भूटान सीमा तक रेल मार्ग के विस्तार पर। भारत और भूटान के बीच पारो-बागडोगरा, पारो-गुवाहाटी जैसे एयर रूट चालू हैं। दोनों देशों की बौद्ध परंपरा साझा है। भारत ने बौद्ध तीर्थ यात्रा मार्गों और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने में सहयोग दिया है।
शैक्षणिक, सांस्कृतिक और नागरिक संबंध: – छात्र आदान-प्रदान और छात्रवृत्ति योजनाओं के अंतर्गत भारतीय विश्वविद्यालयों में भूटानी छात्रों को छात्रवृत्ति और विशेष स्थान दिया जाता है। भारतीय तकनीकी और मेडिकल संस्थानों में भूटानी छात्रों के लिए स्थान नियत किए गये हैं जहाँ उनकी उपस्थिति लगातार बढ़ रही है।
रक्षा एवं सामरिक :- चीन-भूटान सीमा वार्ता पर भारत गंभीरता से नज़र रखता है। स्वाभाविक है कि भारत कभी यह नहीं चाहेगा कि भूटान चीन के दबाव में आए। भारत-भूटान के बीच लगातार उच्च स्तरीय वार्ताएँ होती रही हैं, ताकि कोई रणनीतिक असंतुलन न बन सके। 2017 के डोकलाम विवाद के बाद भूटान और भारत की सुरक्षा साझेदारी और मजबूत हुई है। रणनीतिक और सुरक्षा सहयोग के लिए भारत ने भूटान की सैन्य ट्रेनिंग, सुरक्षा बलों को सहायता, और आवश्यक रक्षा उपकरण देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
हाइड्रो पावर :- भूटान को हाइड्रोपावर सहयोग देने में भी भारत पीछे नहीं रहा। भारत भूटान में पनबिजली परियोजनाओं का प्रमुख साझेदार है। 2019 के बाद 720 MW की मांगदेंगचू पनबिजली परियोजना (Mangdechhu Hydroelectric Project) का उद्घाटन हुआ, जिसे भारत ने फंड किया और तकनीकी सहायता भी दी। 2025 तक भारत और भूटान मिलकर लगभग 10,000 मेगावाट उत्पादन का लक्ष्य रखा है।
2019 के बाद भारत-भूटान संबंधों में सद्भाव, साझेदारी और आर्थिक-सामरिक मजबूती के नए स्तर पर पहुँच कर और भी प्रगाढ़ हुए हैं। भूटान के लिए भारत न केवल एक पड़ोसी, बल्कि एक विश्वसनीय भागीदार भी बना हुआ है। यह संबंध भविष्य में और प्रगाढ़ हों , खासकर ऊर्जा, डिजिटल, रणनीतिक साझेदारी और युवा आदान-प्रदान के क्षेत्रों मे, हम यही कामना करते हैं।