एक करोड़ की ईनामी सुजाता उर्फ कल्पना का आत्मसमर्पण !

बस्तर (छत्तीसगढ़), 14 सितंबर 2025 ! प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी [CPI(माओवादी)] की सेंट्रल कमेटी सदस्य सी. सुजाता उर्फ कल्पना ने राज्य पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, जिसे अधिकारियों ने दंडकारण्य क्षेत्र में माओवादी आंदोलन के लिए एक बड़ा झटका बताया।

बस्तर के पुलिस महानिरीक्षक (IGP) पी. सुंदरराज ने बताया कि इस सदस्य ने 13 सितंबर को तेलंगाना पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया। उस पर 40 लाख रुपये का इनाम घोषित था और वह बस्तर के कई जिलों में दर्ज 70 से अधिक आपराधिक मामलों में वांछित थी।

सुजाता उर्फ कल्पना  की उम्र 60 वर्ष से अधिक बतायी जा रही है। वह कुख्यात माओवादी नेता किशन की विधवा है जो 2011 में पश्चिम बंगाल में एक मुठभेड़ में मारा गया था। अधिकारियों ने बताया कि सुजाता अभी भी सेंट्रल कमेटी सदस्य है और दक्षिण बस्तर डिवीजनल कमेटी की प्रभारी भी है। छत्तीसगढ़ पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी पर 40 लाख का इनाम घोषित किया था, लेकिन अन्य राज्यों को मिला कर उसकी गिरफ्तारी पर कुल इनाम लगभग 1 करोड़ माना जा रहा है।

महानिरीक्षक सुन्दरराज ने कहा, “13 सितंबर को प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) की केंद्रीय समिति सदस्य सुजाता उर्फ कल्पना ने तेलंगाना पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। वर्ष 2025 में 250 से अधिक शव बरामद हुए, जिनमें भाकपा (माओवादी) के महासचिव बसवराजू, केंद्रीय समिति सदस्य गौतम, राज्य स्तरीय समिति के सदस्य सुधीर, रेनूका और भास्कर राव शामिल थे। इन शवों को डीआरजी, एसटीएफ, कोबरा, बस्तर फाइटर्स, सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी और अन्य सुरक्षा एजेंसियों द्वारा विभिन्न मुठभेड़ों के बाद बरामद किया गया।“

माओवादी सदस्य का आत्मसमर्पण न केवल गहरे भरोसे के संकट को दर्शाता है बल्कि यह पुलिस द्वारा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों, खुफिया एजेंसियों और सीमा पार सुरक्षा इकाइयों के साथ आपसी समन्वय के साथ चलाए गये  लगातार और आक्रामक अभियानों का परिणाम भी है।

“सरकार की पुनर्वास नीतियों के तहत, 850 से अधिक कैडर ने समर्पण कर के मुख्यधारा में वापसी की है। यह सरकार की पुनर्वास नीतियों के कारण संभव हो पाया है। इन सबके बीच, केंद्रीय समिति की सदस्य और दक्षिण उप-क्षेत्र ब्यूरो की प्रभारी, सुजाता उर्फ़ कलपना की गिरफ्तारी एक महत्वपूर्ण सफलता है। सी.पी.आई. (माओवादी) दिशाहीन और नेतृत्वविहीन होती जा रही है…” उन्होंने जोड़ा।

हाल के समय में माओवादियों की गिरफ्तारी ने बड़ी मात्रा में हथियारों और विस्फोटकों की बरामदगी तथा उनके गढ़ों में कई ठिकानों को ध्वस्त करने में मदद की है। निरंतर चलाए गये अभियानों के कारण इन माओवादियों को दोबारा संगठित होने या विस्तार करने का अवसर नहीं मिल पा रहा, साथ ही उनके शीर्ष नेतृत्व को भी आत्मविश्वास खोने पर मजबूर कर दिया है।

नक्सली संगठन को यह फिर से एक बड़ा झटका लगा है।

 

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