चार दिनों की भयानक राजनीतिक उथल-पुथल के बाद सुशीला कार्की नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री !

काठमांडू [नेपाल], 13 सितंबर 2025 ! नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद पूर्व वहाँ की पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को अंतरिम पीएम बनाया गया है। शुक्रवार 12सितम्बर की रात क़रीब 9:30 बजे सुशीला कार्की को अंतरिम सरकार का प्रधानमंत्री नियुक्त गया। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने उन्हें शपथ दिलायी। 73 वर्षीय सुशीला कार्की जिन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातक की डिग्री हासिल की है, नेपाल की राजनीति में एक प्रमुख चेहरा बन गयी हैं।

सोशल मीडिया बैन के ख़िलाफ़ 8 सितंबर को नेपाल में युवाओं के आंदोलन ने देश का नेतृत्व महज़ चार दिनों में ही बदल दिया। उनकी छवि भ्रष्टाचार विरोधी रही है. नेपाल में सुशीला महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं।

बतौर जज अपने कार्यकाल में सुशीला कार्की न सिर्फ भ्रष्टाचार बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भी सख्त रुख अपना चुकी हैं। यही वजह है कि वो जेन-जी की पहली पसंद बनीं और 73 साल की उम्र में नेपाल की सियासत का प्रमुख चेहरा बन गयीं। चर्चित न्यायाधीश और नामचीन लेखक होने के नाते सुशीला कार्की को जेन-जी का भी समर्थन मिला है। 5000 से ज्यादा लोगों की बैठक में ज्यादातर सदस्यों ने सुशीला कार्की के नाम को अपनी सहमति दी।

सुशीला कार्की का जन्म 1952 को विराटनगर के शंकरपुर में हुआ था। पिता पेशे से किसान थे और सुशीला सात भाई-बहनों में सबसे बड़ी बेटी। 1971 में उन्होंने त्रिभुवन विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की और फिर 1975 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से राजनीति विज्ञान में स्नातक किया। 1978 में कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद सुशीला कार्की ने विराटनगर से ही वकालत की प्रेक्टिस शुरू कर दी।

पति ने हाईजैक किया था प्लेन –
सुशीला कार्की का विवाह नेपाल कांग्रेस के मशहूर नेता दुर्गा प्रसाद सुबेदी के साथ हुआ था, जिनसे उनकी भेंट अध्ययन के दौरान ही बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में हुई थी। सुबेदी का नाम 1970 में नेपाल कांग्रेस  के युवा क्रांतिकारियों में शामिल था। उस दौरान बीरेंद्र वीर विक्रम शाह नेपाल के राजा हुआ करते थे। क्रांतिकारियों को सशस्त्र विद्रोह के लिए 30 लाख रुपये जुटाने थे। लिहाजा सुबेदी ने रॉयल नेपाल एयरलाइंस के विमान को हाईजैक कर लिया था। 2018 में सुबेदी ने इस हाईजैक पर एक किताब भी लिखी, जिसका शीर्षक ‘विमान विद्रोह’ था।

कई सालों तक वकालत में नाम कमाने के बाद 2007 में सुशीला कार्की वरिष्ठ अधिवक्ता बनायी गयीं और 2009 में वो नेपाल के सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला  न्यायाधीश नियुक्त हुईं। 2016 में सुशीला नेपाल की सुप्रीम कोर्ट की 24वीं मुख्य न्यायाधीश बनीं। हालाँकि, इस दौरान शेरबहादुर देउबा सरकार उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव भी लायी, जिसे बाद में वापस ले लिया गया।

सुशीला कार्की को प्रधानमंत्री नियुक्त करने से पूर्व Gen Z आंदोलनकारियों ने कुछ माँगें प्रस्तुत की थीं जिनमें से पांच प्रमुख माँगों को मान लिया गया है। वे हैं –

1. 6 से 12 महीने के भीतर देश में आम चुनाव कराए जाएँ ताकि लोकतंत्र स्थापित हो और जनता अपनी इच्छा से नयी सरकार को चुन सके।

२. आंदोलनकारियों की माँग थी कि नेपाल की संसद को भंग कर दिया जाये इस मांग को भी स्वीकार कर लिया गया।

3. आंदोलनकारियों की प्रमुख माँगों में से एक नागरिक-सैन्य सरकार का गठन था। इस प्रस्ताव के तहत आंदोलनकारी चाहते हैं कि नेपाल में ऐसा शासन बने जो नागरिक और सेना दोनों के रिप्रेजेंटेशन वाला हो।

4. आंदोलनकारियों का कहना था कि केवल सोशल मीडिया बैन के ख़िलाफ़ जनता सड़कों पर नहीं उतरी है। जनता के सड़क पर उतरने की प्रमुख वजह – भ्रष्टाचार है। इसलिए उनकी ओर से प्रस्ताव रखा गया कि पुराने दल और नेताओं की संपत्तियों की जाँच के लिए शक्तिशाली न्यायिक आयोग गठन हो।

5. आंदोलनकारियों की बड़ी माँग ये भी रही कि आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ हुई हिंसा की स्वतंत्र और निष्पक्ष जाँच हो और इससे प्रभावित लोगों को न्याय मिले। इस माँग को भी मान लिया गया है और निष्पक्ष जाँच की बात कही गयी है।

सुशीला कार्की के प्रधानमंत्री पद सँभालने से अब नेपाल का संवैधानिक संकट समाप्त हो गया है और चार दिनों की भयानक उथल पुथल के बाद जन-जीवन अब सामान्य पर लौट रहा है।

 

 

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