सरकार के परिपत्र ने रिन्यूएबल एनर्जी में निवेश करने वालों की बढ़ाई चिंता

सूरत. गुजरात उर्जा विकास निगम लिमिटेड ( जीयूवीएनएल ) द्वारा हाल में रिन्यूएबल एनर्जी जनरेशन व एनर्जी बैकिंग को लेकर की गई स्पष्टता से इस पूरे सेक्टर के निवेशकों को दुविधा में डाल दिया हैं। इनमें निवेश करने वाले अपने प्रोजेक्टों के भविष्य को लेकर चिंतित हैं।

साउथ गुजरात सोलर पावर एसोसिएशन (एसजीएसपीए ) के अध्यक्ष तेजस पटेल ने बताया कि उर्जा मंत्रालय ने रिन्यूएबल एनर्जी जैसे सौर उर्जा व पवन उर्जा को बढावा देने के लिए ग्रीन ओपन एक्सेस के तहत विद्युत ग्राहकों को बैंक्ड एनर्जी की अनुमति प्रदान की थी। इसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था कि बैंक्ड बिजली, ग्राहकों को वितरण करने वाली कंपनी के कुल मासिक उपयोग की कम से कम 30 फीसदी होनी चाहिए।

हाल ही में जीयूवीएनएल ने इसका अर्थघटन करते हुए स्पष्टता की हैं कि ग्राहकों से उनके मासिक उपयोग की 30 फीसदी बिजली की ही बैंक्ड किया जाएगा। इन विरोधाभासी नियमों से इस क्षेत्र में निवेश करने वाले दक्षिण गुजरात के कारोबारी व कंपनियां दुविधा में हैं। उन्हें विभिन्न प्रोजेक्ट में किए गए निवेश को लेकर चिंता का माहौल है।

दक्षिण गुजरात में दो हजार करोड़ का निवेश

एसजीएसपीए के सचिव किशन ठुम्मर ने बताया कि सोलर व विंड पावर के 522 प्रोजेक्टों में करीब 2 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया है। इसके लिए सरकार द्वारा लोन पर सब्सिडी भी दी जा रही है। एमएसएमई के तहत लोगों ने अपनी औद्योगिक ईकाइयों में छोटे बड़े 125 से अधिक रिन्यूएबल एनर्जी पावर प्लांट तैयार हो गए हैं। ऐसे में यदि उनसे सिर्फ 30 फीसदी बिजली ही ली जाएगी तो शेष 70 फीसदी बिजली का वे क्या करेंगे। क्योंकि उनके पास न तो वितरण की सुविधा है और न ही लाइसेंस है। इस तरह के करीब 400 नए प्रोजेक्टों का निर्माण कार्य चल रहा है।

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