सवाई मान सिंह अस्पताल में लगी आग से जले ICU के मृतकों की सँख्या बढ़ी !

जयपुर, 6 अक्टूबर 2025! सूत्रों के अनुसार जयपुर के  सवाई मान सिंह (SMS) अस्पताल में लगी आग के कारण मृतकों की सँख्या 8 तक पहुँच गयी है। आई.सी.यू. में उपस्थित शेष लोगों की हालत गंभीर बानी हुई है। घटना के समय आई.सी.यू. में 11 मरीज मौजूद थे। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि 250 से अधिक मरीज अस्पताल के अन्य वार्डों में भी थे और उनमें से 46 की हालत गंभीर थी।

यह आग 5 अक्टूबर 2025 की रात लगभग 11:20 बजे लगी। हादसा अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के न्यूरो आईसीयू / स्टोर रूम क्षेत्र में हुआ। आग की शुरुआत एक स्टोर रूम में हुई, जहाँ पर पेपर, संबंधित आईसीयू सामग्री, ब्लड सैंपलर ट्यूब, प्लास्टिक ट्यूब आदि रखे थे। संभवत: आग ग्रहण करने वाली सामग्री ने आग के फैलने को तेज किया। प्रारंभिक रिपोर्टों में कहा गया था कि शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगी हो सकती है, हालाँकि अभी आग के कारणों की पुष्टि होनी बाकी है।

आग लगने से SMS अस्पताल के आपदा प्रबंधन में भी कई खामियाँ सामने आयीं । परिजनों का आरोप है कि जैसे ही आग लगी, डॉक्टर/स्टाफ मामले से भाग गये और कई मरीज अकेले छोड़ दिए गये। यह भी आरोप है कि आई.सी.यू. का गेट बंद कर दिया गया था ताकि बाहरी लोग अंदर न आने पाएँ,  जिससे मरीजों को राहत पहुँचाने में देरी हुई। आग लगने पर फायर-अलार्म ने भी काम नहीं किया जिससे समय रहते सूचना नहीं मिल सकी। रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि ऑक्सीजन आपूर्ति बंद करने में देरी हुई। अस्पताल में अग्नि सुरक्षा उपकरणों, अलार्म प्रणाली, बचाव मार्ग आदि की समीक्षा की गयी है, वे भी पर्याप्त नहीं थे। आग लगने के साथ ही धुआँ तेजी से फैला, जिससे दृश्यता कम हो गयी और मरीजों को साँस लेने में दिक्कत हुई। बेहोशी व कोमा स्थिति वाले कई मरीजों की हालत पहले से नाजुक थी, वे होश में नहीं थे, इसलिए उनकी बाहर निकाली जाना मुश्किल था। बचाव दल या अग्निशमन वाहन आने में भी देरी हुई, जिससे आग का फैलाव और नुकसान बढ़ा। संचार और सूचना में देरी की बात भी उजागर हुई है। घटना की सूचना समय पर न दिए जाने  और परिजनों को जानकारी न पहुँचाने की शिकायतें सामने आयी हैं।

परिजन बताते हैं उनकी चेतावनी की भी अनदेखी की गयी। धुएँ की बढ़ती मोटी चादर पहले ही बढ़ी थी और उन्होंने स्टाफ को इसके बारे में बताया था, लेकिन 20 मिनट तक  कोई कार्रवाई नहीं हुई।

राजस्थान सरकार ने घटना की गंभीरता को देखते हुए 6 सदस्यों की जाँच-समिति का गठन किया है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा  अन्य राजनीतिक नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने न्यायिक जाँच की माँग  की है।

मृतकों के परिजन अस्पताल के बाहर धरने पर बैठ गये थे, लेकिन बाद में बातचीत के बाद धरना समाप्त किया गया और परिजनों ने शव लेने पर सहमति दी। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा, गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम आदि मौके पर पहुँचे और राहत, बचाव एवं मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने पर चर्चा की।

यह हादसा न केवल एक दुखद घटना है, बल्कि यह स्वास्थ्य प्रणालियों,  अस्पताल सुरक्षा मानकों और आपदा प्रबंधन की तैयारियों पर एक कड़ा अलार्म है। साथ ही अब जाँच-समिति को निष्पक्ष और पारदर्शी रिपोर्ट देना चाहिए ताकि दोषियों की पहचान हो और उनके विरुद्ध समुचित कार्रवाई हो।

ऐसी दुर्घटनाएँ दोहराई न जा सकें, इसके लिए सम्बंधित विभागों द्वारा विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है। अस्पतालों में फायर सुरक्षा प्रोटोकॉल, अलार्म सिस्टम, इमरजेंसी एग्जिट मार्ग, बचाव उपकरण आदि की नियमित जाँच होनी चाहिए। मरीजों और परिजनों को सतर्क रखने व सूचना देने के लिए बेहतर तंत्र तैयार होना चाहिए। राज्य सरकार को प्रभावित परिवारों को त्वरित मुआवजा देना चाहिए और घायलों का अनुकूल इलाज भी सुनिश्चित करना चाहिए।

 

 

 

 

 

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