आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ और सशक्त बनाने के लिए हर किसान तक प्राकृतिक खेती पहुंचाना आवश्यक: आचार्य देवव्रतजी

बारडोली : “देश में दशकों तक रासायनिक खादों के उपयोग से खेती होती रही है, जिसके परिणामस्वरूप स्वस्थ जीवन शैली के स्थान पर मानव जीवन में कई तरह के रोगों का प्रकोप बढ़ गया है। रासायनिक खेती से भूमि और मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले विपरीत प्रभावों को रोकने के लिए प्राकृतिक खेती एकमात्र विकल्प है”, यह बात राज्यपाल आचार्य देवव्रतजी ने सूरत जिले के बारडोली में श्री खेडूत सहकारी खांड उद्योग मंडली लिमिटेड-बाबेन द्वारा आयोजित ‘प्राकृतिक कृषि परिषद’ में कही।

बारडोली के केदारेश्वर महादेव मंदिर, बारडोली -धुलिया रोड पर आयोजित परिषद में प्राकृतिक खेती करने वाले जिले के प्रगतिशील किसानों के साथ राज्यपाल ने संवाद किया। जिले के प्राकृतिक खेती करने वाले प्रगतिशील किसानों को राज्यपाल के हाथों सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के किसानों और खेती को समृद्ध करने के लिए प्राकृतिक कृषि का मिशन शुरू किया है। उन्होंने देश के 1 करोड़ किसानों को प्राकृतिक कृषि से जोड़ने के लिए नवंबर मास में राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन शुरू किया, इस मिशन के लिए 2481 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। जिसमें गुजरात के कृषि मॉडल को रोल मॉडल के रूप में निर्देशित किया गया है।

प्राकृतिक कृषि जैविक कृषि से अलग प्रकार की खेती है, दोनों खेती पद्धतियों के बीच अंतर बताते हुए उन्होंने कहा कि, प्राकृतिक कृषि गाय आधारित कृषि है, जिसमें भारतीय नस्ल की देसी गाय के गोमूत्र, गोबर से जीवामृत, घनजीवामृत तैयार करके इसका उपयोग करके शून्य खर्च में उत्पादन प्राप्त किया जाता है। प्राकृतिक कृषि में रासायनिक खादों या कीटनाशकों के उपयोग के बिना केवल गाय आधारित खेती की जाती है।

आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ और सशक्त बनाने के लिए प्राकृतिक खेती देश के प्रत्येक किसान तक पहुंचाना बहुत आवश्यक है, यह मत व्यक्त करते हुए राज्यपाल ने कहा कि, प्राकृतिक खेती में कम खर्च में कई फायदे मिलते हैं। केंचुए प्रकृति के किसान हैं जिनकी मदद से खेती की भूमि की उर्वरता तो बढ़ती ही है, बल्कि फसल उत्पादन और साथ ही किसानों की आय भी बढ़ती है। गायमाता और धरती माता का संरक्षण होता है। पर्यावरण और सूक्ष्म जीवों की रक्षा होती है। हवा शुद्ध रहती है और भूमि की उर्वरता-ऑर्गेनिक कार्बन बढ़ता है।

उन्होंने कहा कि, प्रकृति में हस्तक्षेप करने के परिणाम हमेशा जोखिम भरे होते हैं। आज खेती में उत्पादन बढ़ाने के लिए जो पेस्टिसाइड्स, यूरिया, डीएपी और कीटनाशकों का अंधाधुंध उपयोग किया जाता है, उसके दुष्परिणाम कैंसर, हार्ट अटैक, बीपी और डायबिटीज जैसे बीमारियों के रूप में सामने आ रहे हैं।

बारडोली शुगर के उपाध्यक्ष भावेशभाई एन. पटेल ने राज्यपाल को सरदार नगरी बारडोली की ऐतिहासिक धरती पर स्वागत करते हुए कहा कि, राज्य के किसान प्राकृतिक खेती की ओर मुड़ें, इस दिशा में राज्यपाल और मुख्यमंत्री के सीधे मार्गदर्शन में अभियान के रूप में काम किया जा रहा है। सूरत जिले के किसानों में भी प्राकृतिक खेती के बारे में व्यापक जागरूकता लाकर प्राकृतिक खेती का यह अभियान जन आंदोलन बने, ऐसे हमारे भी प्रयास हैं।

इस अवसर पर विधायक ईश्वरभाई परमार, जिला सहकारी संघ के अध्यक्ष भीखाभाई पटेल, जिला विकास अधिकारी शिवानी गोयल, बार्डोली शुगर के प्रबंध निदेशक हेमप्रकाश सिंह, उप कृषि निदेशक (प्रशिक्षण) और आत्मा प्रोजेक्ट डायरेक्टर एन.जी. गामीत, जिला कृषि अधिकारी सतीष गामीत और शुगर के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स और सदस्य बड़ी संख्या में उपस्थित थे।