ट्रंप ने बयाँ किया दिल का दर्द-“लगता है हमने भारत को खो दिया !”

वाशिंगटन, 5 सितम्बर 2025 ! टैरिफ पर तनातनी के बीच डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और रूस को लेकर बड़ा बयान दिया है। अपने ट्रुथ सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर ट्रम्प ने लिखा है ” ‘ऐसा लगता है कि हमने भारत और रूस को सबसे गहरे और सबसे अंधकारमय चीन के हाथों खो दिया है। ईश्वर करे कि उनका भविष्य लंबा और समृद्ध हो।” डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पोस्ट के साथ SCO में राष्ट्रपति जिनपिंग, पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर भी पोस्ट की है।

उनका बयान ऐसे समय में आया है, जब भारत और अमेरिका के संबध अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे में भारत अपने पुराने दोस्त रूस के ज्यादा करीब दिख रहा है। साथ ही चीन के साथ भी सहयोग बढ़ाने पर चर्चा जारी है। जाहिर है कि ट्रंप को इससे मिर्ची जरूर लग रही होगी।

विदेश मंत्रालय की प्रेस ब्रीफिंग के दौरान जब ट्रंप के बयान पर प्रक्रिया माँगी गयी तो विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इसविषय में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग तियानजिन में हुए एससीओ शिखर सम्मेलन में एक साथ दिखे। इस शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी, व्लादिमिर पुतिन समेत कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष पहुँचे थे। पीएम मोदी, पुतिन और जिनपिंग की गर्मजोशी भरी मुलाकात ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। डोनाल्ड ट्रंप की भी नजर इस बैठक में थी। इस दौरान तीनों नेताओं के बीच सौहार्द्रपूर्ण संबंधों ने दुनिया को यह संकेत दिया कि अमेरिकी राष्ट्रपति की टैरिफ नीति के बीच एक नया ही विश्व आकार ले रहा है। कई विशेषज्ञों ने इस मुलाकात को काफी अहम बताया था।

प्रतीत होता है कि चीन में SCO शिखर सम्मलेन के दौरान रुसी राष्ट्रपति पुतिन और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ चीन के राष्ट्रपति की तस्वीरों ने ट्रंप को परेशान कर दिया है। पहले उन्होंने चीन को लुभाने की कोशिश की और जब चीन की तरफ से कुछ जवाब नहीं आया तो अब अपने ट्रूथ सोशल मीडिया के जरिये वे अपना दर्द व्यक्त करने लगे।

अमेरिकी विशेषज्ञ और पूर्व राजनयिक भी ट्रंप की भारत पर टैरिफ नीति को लेकर चेतावनी दे चुके हैं। ट्रंप ने जब भारत पर टैरिफ लगाये तो दुनिया को तो हैरानी हुई ही, खुद अमेरिकी एक्सपर्ट भी हैरान रह गये। उन्होंने ट्रंप को चेताया कि इससे वो भारत को रूस और चीन के पाले में जाने को मजबूर कर रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत रह चुकीं और दक्षिण कैरोलाइना की पूर्व गवर्नर निक्की हेली ने ट्रंप प्रशासन की भारत को लेकर नीतियों पर सवाल उठाये थे। उन्होंने एक लेख लिखकर कहा था कि अमेरिका और भारत के रिश्ते जिस राह पर जा रहे हैं, वह बेहद चिंताजनक है। हेली ने लिखा कि जुलाई 1982 में राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का व्हाइट हाउस में स्वागत किया था, तब उन्होंने दोनों देशों की दोस्ती की तारीफ करते हुए कहा था कि भले ही हमारे देश कभी-कभी अलग रास्तों पर चलें, हमारी मंजिल एक ही है। लेकिन आज, चार दशक बाद, दोनों देशों के रिश्ते एक मुश्किल मोड़ पर आ खड़े हुए हैं।

निक्की हेली ने लिखा कि ट्रंप प्रशासन का मकसद चीन से मुकाबला करना और ताकत के दम पर शांति कायम करना है। इन लक्ष्यों को पाने के लिए अमेरिका-भारत रिश्तों को पटरी पर लाना बेहद जरूरी है। लेकिन पिछले कुछ हफ्तों में हालात तेजी से बिगड़े हैं।

उन्होंने ट्रंप प्रशासन को भारत द्वारा रूस से तेल खरीदने पर फिर से 25 % टैरिफ लगाने की धमकी देने पर भी चेताया था जबकि भारतीय सामानों पर पहले ही इतना टैरिफ लगाया जा चुका था।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA ) जेक सुलिवन ने भी राष्ट्रपति ट्रंप पर पाकिस्तान में अपने परिवार के व्यापारिक सौदों को फायदा पहुँचाने के लिए भारत के साथ अमेरिका के संबंधों को खतरे में डालने का आरोप लगाया था। पूर्व राष्ट्रपति बाइडेन के कार्यकाल के इस अधिकारी ने वाशिंगटन-नई दिल्ली संबंधों को त्यागने के ट्रंप के कदम को अमेरिका के अपने हितों के लिए “बड़ा रणनीतिक नुकसान” बताया।

साथ ही जेक सुलिवन ने एक यूट्यूब चैनल मीडास-टच पर बोलते हुए कहा, “दशकों से चले आ रहे द्विदलीय आधार पर, संयुक्त राज्य अमेरिका ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के साथ अपने संबंध बनाने के लिए काम किया है। वह एक ऐसा देश है जिसके साथ हमें टेक्नोलॉजी, प्रतिभा और इकनॉमिक्स और कई अन्य मुद्दों पर गठबंधन करना चाहिए, और चीन से रणनीतिक खतरे से निपटने के लिए साथ आना चाहिए।”

अमेरिका की एक कोर्ट ने भी टैरिफ को असंवैधानिक कहा तो व्हाइट हाउस में एक रेडियो शो में और फिर मीडिया से बात करते हुए ट्रंप ने अपनी जिद पर अड़ते हुए कहा, “चीन, भारत और ब्राजील हमें टैरिफ से मार रहे हैं। अगर हमें कोर्ट से राहत नहीं मिली तो यह हमारी अर्थव्यवस्था के लिए आपदा साबित होगी।”

शायद कभी ट्रंप को एहसास हो कि उन्होंने टैरिफ लगाकर अमेरिका को कितने साल पीछे छोड़ दिया है। अब भी वे अपनी गलती नहीं मान रहे और भारत, रूस और चीन को ही देख लेने की एक तरह से धमकी भी दे रहे हैं।

यह तो स्पष्ट है कि डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति ने भारत और अमेरिका के रिश्तों में खटास पैदा कर दी है। बाइडेन प्रशासन के पूर्व अधिकारियों जेक सुलिवन और कर्ट कैंपबेल के अनुसार दोनों देशों के बीच व्यापारिक और राजनयिक रिश्ते सर्द होते जा रहे हैं। लेकिन यह साझेदारी अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण है और इसे बचाना होगा। उनका मानना है कि रिश्ते कमजोर होने से अमेरिका अपना एक रणनीतिक दोस्त खो देगा और चीन को बढ़त मिलेगी।

सुलिवन और कैंपबेल ने नरेंद्र मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ गर्मजोशी भरी मुलाकात का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि अगर अमेरिका ने भारत के साथ रिश्तों को सुधारने की कोशिश न की, तो भारत को “नुकसान” उठाना पड़ सकता है। भारत न सिर्फ चीन जैसे पड़ोसी से दबाव में आ सकता है, बल्कि तकनीक, शिक्षा और रक्षा जैसे क्षेत्रों में अमेरिका के साथ सहयोग भी कमजोर पड़ सकता है।
सुलिवन और कैंपबेल के अनुसार ट्रम्प को ‘भारत-पाकिस्तान’ को एक चश्मे से देखने की गलतीनहीं करनी चाहिए। उनका कहना है कि भारत के साथ रिश्ते पाकिस्तान से कहीं ज्यादा अहम हैं।

ज्ञातव्य है कि हाल ही में ट्रंप ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर से मुलाकात करके व्यापार, आर्थिक विकास और क्रिप्टोकरेंसी जैसे मुद्दों पर बात की थी।

 

 

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