अलास्का (USA) ! अलास्का में भारतीय समय के अनुसार 15 अगस्त की रात को 12:30 बजे के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के बीच 3 घंटे तक आमने-सामने बातचीत तो हुई, लेकिन यूक्रेन युद्ध पर कोई ठोस समझौता नहीं हो सका। इस मीटिंग पर सारे विश्व के साथ भारत की भी निगाह टिकी हुई थी। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प ने राष्ट्रपति पुतिन के लिए रेड कारपेट बिछा कर गर्मजोशी से उनका स्वागत किया और स्वयं उनकी अगवानी की। पुतिन के वायुयान को कवर देने के लिए अमेरिकी B-2 युद्धक जेट्स विमानों को तैनात किया गया।
इसके बाद पुतिन ट्रंप की कार “द बीस्ट” में बैठकर मीटिंग के लिए रवाना हो गये। अलास्का में पुतिन के साथ मीटिंग के बाद ट्रंप ने फॉक्स न्यूज को दिये एक इंटरव्यू में बैठक को 10 में से 10 नंबर दिये। ट्रम्प ने कहा हमारे पास शांति समझौता करने का एक मौका है मुझे लगता है कि पुतिन इसे पूरा होता देखना चाहते हैं । मुलाकात के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रम्प ने कहा, “मेरी और पुतिन की बैठक काम की रही और इसमें कुछ प्रगति हुई है। मैं नाटो सहयोगियों और यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेन्स्की सहित अन्य लोगों को भी शामिल करूँगा।
हालाँकि इस मुलाकात से जितनी ज्यादा उम्मीदें लगायी जा रही थीं, वैसा कुछ नहीं हुआ। यूक्रेन युद्ध पर कोई ठोस समझौता नहीं हो सका। इसके बावजूद ट्रंप की लीडरशिप को फायदा जरूर मिला है। ट्रंप राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को बातचीत के लिए राजी कर पाये और उन्हें डेलिगेशन के साथ मीटिंग के लिए अलास्का बुलाने में समर्थ रहे। राष्ट्रपति पुतिन ने मुलाकात में ट्रंप की तारीफ भी कर दी। पुतिन ने कहा अगर 2022 में ट्रंप अमेरिका के राष्ट्रपति होते तो रूस यूक्रेन युद्ध नहीं हुआ होता। पुतिन का यह बयान ट्रंप के व्यक्तित्व, अमेरिका में उनकी आंतरिक स्थिति और राजनीति में उन्हें और भी मजबूत स्थान देने की दिशा में काफी काम का है।
हालाँकि नाटो में अमेरिका के पूर्व राजदूत डगलस ल्यूट का कहना है कि इस मीटिंग से सब कुछ पुतिन के पक्ष में गया। बदले में ट्रंप को क्या मिला ? कुछ नही ! हम अभी यूक्रेन में शांति समझौते के करीब भी नहीं है। बल्कि पहले की तुलना में और भी दूर हो सकते हैं।
विदेशी मामलों के जानकार प्रोफेसर राजन कुमार का मानना है ट्रंप के नजरिये से यह बैठक सफल नहीं रही। दोनों नेताओं ने एक दूसरे के प्रति सकारात्मक संदेश देने की कोशिश की। विदेशी मामलों के जानकार और NEHU के प्रोफेसर प्रसेनजित बिस्वास कहते हैं कि दोनों राष्ट्रपतियों के बीच तीन घंटे में सिर्फ यूक्रेन रूस युद्ध की बात नहीं हुई होगी। ट्रम्प चाहते थे कि रूस के मार्केट में अमेरिकी सामान की ज्यादा बिक्री हो सके क्योंकि रूस की इकोनॉमी बहुत खराब हालत में है। ट्रम्प इस मौके का फायदा उठाकर पैसा कमाना चाहते थे। मुझे लगता है कि ट्रंप इसमें बहुत हद तक कामयाब हो गये। आगे की बैठक में इसका परिणाम देख सकते हैं।
3 घंटे की मीटिंग के बाद जब दोनों नेता प्रेस कांफ्रेंस के लिए मंच पर पहुँचे तो पहले पुतिन ने बात शुरू की। यह बहुत असाधारण था क्योंकि जब कोई अमेरिकी राष्ट्रपति किसी विदेशी नेता की मेजबानी करता है तो ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान से होती है और उसके बाद विदेशी नेता बोलते हैं।
विदेशी मामलों के जानकार और JNU के रिटायर्ड प्रोफेसर ए. के. पाशा कहते हैं, “इस मीटिंग के बाद रूसी राष्ट्रपति पुतिन को दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति ट्रंप के साथ मंच शेयर करने का मौका मिला, जिससे वह जियो पोलिटिकल लाइमलाइट में आ गये। फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमला करने के बाद पुतिन को पश्चिमी देशों ने वैश्विक मंच से अलग–थलग कर दिया था। इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट यानि ICC ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया था, जिससे पुतिन पश्चिमी देशों की यात्रा नहीं कर रहे थे लेकिन अब हालात बदल रहे हैं।”
ट्रंप ने प्रेस कांफ्रेंस के बाद पुतिन को धन्यवाद दिया और उन्होंने उन्हें व्लादिमीर कहकर पुकारा। इसके बाद पुतिन मॉस्को के लिए रवाना हो गये। ट्रंप ने पुतिन को तवज्जो देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यहाँ तक कि अमेरिकी फाइटर जेट F-22 पुतिन के विमान के साथ अलास्का से रूस में मास्को तक छोड़ने के लिए गये थे।
प्रसेनजित बिस्वास कहते हैं, “इस समय नाटो और यूरोपीय यूनियन मिलकर रूस पर मिलिट्री का डर बना रहे हैं जिससे रूस की चिंता भी बढ़ रही है। किंतु ट्रंप से मुलाकात का सीधा फायदा पुतिन को पहुँचा है। इस मुलाकात से पुतिन वैश्विक राजनीतिक और मंच पर वापस आ गये। अभी तक जैसे दूसरे देश मिलकर रूस पर दबाव बना रहे थे, पुतिन पर वह अंतरराष्ट्रीय दबाव अब खत्म हो गया है।