ट्रम्प की ब्रांडेड दवाओं पर 100 % शुल्क की घोषणा भारतीय निर्यात पर लगभग बेअसर !

डोनाल्ड ट्रम्प के द्वारा  ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं के आयात पर 100 प्रतिशत तक शुल्क लगाए जाने की कल की गयी घोषणा के प्रतिक्रिया स्वरुप फ़ार्मास्यूटिकल एलायंस ने कहा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 1 अक्टूबर से लागू होने वाली ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं के आयात पर 100 प्रतिशत तक शुल्क लगाने की घोषणा विशेष रूप से पेटेंटेड या ब्रांडेड उत्पादों से जुड़ी है और इसका असर जेनेरिक दवाओं पर नहीं पड़ेगा।

नयी दिल्ली, 26.9.25  ! डोनाल्ड ट्रम्प के द्वारा  ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं के आयात पर 100 प्रतिशत तक शुल्क लगाए जाने की कल की गयी घोषणा के प्रतिक्रिया स्वरुप फ़ार्मास्यूटिकल एलायंस ने कहा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 1 अक्टूबर से लागू होने वाली ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं के आयात पर 100 प्रतिशत तक शुल्क लगाने की घोषणा विशेष रूप से पेटेंटेड या ब्रांडेड उत्पादों से जुड़ी है और इसका असर जेनेरिक दवाओं पर नहीं पड़ेगा।

इंडियन फ़ार्मास्यूटिकल एलायंस (IPA) के महासचिव सुदर्शन जैन ने कहा, “कार्यकारी आदेश अमेरिका को भेजे जाने वाले पेटेंटेड / ब्रांडेड उत्पादों से संबंधित है। यह जेनेरिक दवाओं पर लागू नहीं होता।”

ध्यान रहे कि भारत अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली 45 प्रतिशत से अधिक जेनेरिक और 15 प्रतिशत बायोसिमिलर दवाएँ सप्लाई करता है।

शीर्ष फ़ार्मास्यूटिकल कंपनी फार्मेक्सिल (Pharmexcil) के चेयरपर्सन, जो अपनी कुल आय का 40-50 प्रतिशत अमेरिकी बाज़ार से कमाती है, ने भी कहा, “जेनेरिक दवाओं पर कोई असर नहीं पड़ेगा।”

फार्मेक्सिल के चेयरमैन नमित जोशी ने कहा, “भारत लंबे समय से सस्ती और उच्च-गुणवत्ता वाली दवाओं की वैश्विक आपूर्ति शृँखला का आधार रहा है। ”

उच्च-गुणवत्ता वाली दवाइयाँ जेनेरिक दवा बाज़ार में अमेरिका की दवा संबंधी ज़रूरतों का लगभग 47 प्रतिशत पूरा करती हैं। हालाँकि अमेरिकी राष्ट्रपति ने 100 प्रतिशत शुल्क ब्रांडेड और पेटेंट वाली दवाओं के आयात पर लगा तो दिया है लेकिन इसका असर भारतीय निर्यात पर तुरंत पड़ने की संभावना नहीं है, क्योंकि हमारे योगदान का बड़ा हिस्सा साधारण जेनेरिक दवाओं में है। इसके अतिरिक्त, अधिकांश बड़ी भारतीय कंपनियाँ पहले से ही अमेरिका में निर्माण या पुनःपैकेजिंग इकाइयाँ चला रही हैं, साथ ही आगे और भी अधिग्रहण की संभावनाएँ तलाश रही हैं।

नमित जोशी बताते हैं, “वर्तमान में धारा 232 के तहत हो रही जाँचें अन्य क्षेत्रों पर केंद्रित दिखाई देती हैं और जेनेरिक दवाओं पर सीधा फैसला नहीं लिया गया है। फिर भी, भविष्य की नीतिगत बदलावों के लिए तैयार रहना और जोखिम-निवारण रणनीतियाँ बनाना समझदारी है।”

एसोसिएशन ऑफ़ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री (AiMeD) के फोरम कोऑर्डिनेटर, आर.ए. नाथ ने यह स्पष्ट किया कि मेडिकल डिवाइस (चिकित्सा उपकरण) दवाएँ नहीं हैं। उन पर पहले ही अमेरिका ने कर लगा दिया था। दवाओं पर शुल्क की यह नयी कार्रवाई उम्मीद है कि चिकित्सा उपकरणों को प्रभावित नहीं करेगी।