सूरत: महाराष्ट्र में शिंदे सरकार द्वारा गाय को राज्य माता का दर्जा दिया गया है। अब गुजरात में भी गाय को राज्य में राज्य माता घोषित करने की मांग उठी है। सनातनी हिेंदू धर्म के चारों मठों के जगतगुरू शंकराचार्य की मुहिम गाय को पशु की श्रेणी में से मुक्त कर राष्ट्रीय माता घोषित करने और पूरे देश में गौ वंश की कल्त बंद करने की मुहिम का समर्थन कर रहे है। आज मालधारी अग्रणियों ने गाय को राज्य माता का दर्जा देने की मांग के साथ कलक्टर को ज्ञापन सौंपा। जिसमें कहा कि प्राचीन काल से मनुष्य के रोजिंदा गाय का अहम महत्व रहा है। वैदिक समय से गाय का धार्मिक, वैज्ञानिक और आर्थिक महत्व को ध्यान में रखकर इसे कामधेनु कहा गया है। राज्य के विभिन्न क्षेत्र में विविध देशी जाति के गाय देखने को मिलती है, इसके बावजूद गायों की संख्या दिनोंदिन घटती जा रही है। देशी गाय के दूध में मानव आहार के लिए ज्यादा पोषक तत्व होते है। देशी गाय का दूध संपूर्ण खुराक है क्योंकि इसमें मानव शरीर के पोषण के लिए महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते है। मानव आहार में देशी गाय का दूध का स्थान, आयुर्वेद उपचार में, ऑर्गेनिक खेती में देशी गाय का गोबर और गौमूत्र को ध्यान रखकर देशी गायों की संख्या में गिरावट चिंता का विषय है। जिससे गाय माता के महत्व को ध्यान में रखकर देशी गायों को राज्य माता गौमाता घोषित करने की मांग की है।