सूरत मे हो रही श्रीमद् भागवत कथा मे तीसरे दिन की भागवत कथा
अगासी माता मंदिर, स्वामीनारायण मंदिर के पास, सरदार पुल के नीचे, अडाजन सूरत मे हो रही श्रीमद् भागवत कथा मे तीसरे दिन की भागवत कथा मे संदीप महाराज ने सुनाया कि विदुर के भगवान कृष्ण भोजन करने के लिए गए थे वहां केले के छिलके का भोग लगाया। इससे पहले दुर्योधन के घर भगवान ने छप्पन प्रकार के व्यंजन का त्याग कर आये थे। भगवान प्रेम के भूखे हैं विदुर विधुरानी ने भगवान को प्रेम से भोजन करवाया तो भगवान ने केले के छिलके भी खा लिए। इसके उपरान्त सती चरित्र का वर्णन किया। राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान करने के लिए कनखता में यज्ञ करवाया उसमें भगवान शिव को नहीं बुलवाया और सती बिना बुलाए ही वहां पहुंच गई और जब शिव का स्थान नहीं देख कर यज्ञ कुंड में जलकर भस्म हो गई। शिव को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने अपना एक बाल उखाड़ कर जमीन पर पटका उससे वीरभद्र प्रकट हुई है और उसे भगवान शिव ने दक्ष के यज्ञ विध्वंस करने की आज्ञा दी। वीरभद्र ने दक्ष के यज्ञ का विध्वंस कर दक्ष के सर को मरोड़ कर तोड़ यज्ञ में डाल दिया। इसके बाद भगवान विष्णु वहां आए और शिव के क्रोध को शांत किया। इस कथा से शिक्षा मिलती है कि अहंकार नहीं करना चाहिए। इसके उपरांत ध्रुव का चरित्र बतलाया, ध्रुव जो अटल है ध्रुव जो निश्चित है भगवान का सबसे छोटा भक्त है। मात्र छः महीने की तपस्या के द्वारा ही भगवान को प्राप्त कर लिया। ध्रुव को राज्य की कामना थी जो ध्रुव को भगवान के दर्शन होते ही राज्य की कामना समाप्त हो गई। छत्तीस हजार वर्ष का राज्य करने के बाद उत्तर दिशा में ध्रुव स्थित हुए। कल के प्रसंग मे वामन अवतार और कृष्ण जन्मोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया जाएगा।