2500 से अधिक अर्ध-विसर्जित मूर्तियों का पुनः विसर्जन
शहर में हजारों की तादाद में गणेशजी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना के बाद मंगलवार को हजारों की संख्या में छोटे-बड़े गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया गया
सूरत। शहर में हजारों की तादाद में गणेशजी की प्रतिमा स्थापित कर पूजा अर्चना के बाद मंगलवार को हजारों की संख्या में छोटे-बड़े गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया गया। श्रीजी के विसर्जन के लिए प्रशासनिक व्यवस्था की गई थी। प्रशासन ने कृत्रिम तालाब बनाए थे, लेकिन कुछ लोगों ने गणेश स्थापना के बाद लोग गणेश जी को समुद्र में तो विसर्जित करने की बात तो छोडों , कृत्रिम तालाब में भी विसर्जन नहीं किया। जिससे गणेश भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंची है।
सांस्कृतिक सुरक्षा समिति द्वारा संचालित माधव गौशाला और पशु छात्रावास के 200 से अधिक गौसेवकों द्वारा सूरत के डिंडोली, खरवासा, चलथान, पर्वत पाटिया जैसे विभिन्न क्षेत्रों में नहरों से अर्ध-विसर्जित पीओपी की 2500 से अधिक गणेश मूर्तियों को आज हजीरा में समुद्र में फिर से विसर्जन किया गया। हर वर्ष इसी प्रकार श्रीजी की प्रतिमा को विसर्जन के नाम पर नहरों या अन्य स्थानों पर छोड़ दिया जाता है। इस परिदृश्य से यह स्पष्ट है कि गणेश उत्सव में केवल स्थापना और मनोरंजन के लिए भाग लेते हैं। यह सचमुच दुखद है कि गणेश भक्त मूर्तियों को गंदे पानी में नहरों के किनारे छोड़ देते हैं।
सांस्कृतिक संरक्षण समिति के अध्यक्ष आशीष सूर्यवंशी ने बताया कि हमारी संस्था पिछले 8 वर्षों से शहर की विभिन्न नहरों से गणेश जी की अर्ध-विसर्जित मूर्तियों, दशमां की हजारों पीओपी को निकाल रहे है। वे पीओपी की मूर्तियों के स्थान पर मिट्टी की मूर्तियां स्थापित करने के लिए जागरूकता अभियान चला रहे हैं। 10 दिनों की भक्ति के बाद भक्तों द्वारा देवी-देवताओं की मूर्तियों को गंदे पानी में इस तरह विसर्जित किया जाता है कि हिंदू धर्म के आहत करने वाले दृश्य प्रदर्शित होते हैं।