राजस्थान क्षत्रिय समाज भवन, हरिधाम सोसाइटी, 120 फीट आशापुरी बमरोली रोड, सूरत में आयोजित शिव महापुराण कथा
आयोजन में सोमवार 31 जुलाई को सुबह 11 बजे न्यू काशी विश्वनाथ मंदिर तेरे नाम चौकड़ी पांडेसरा से कथा स्थल राजस्थान क्षत्रिय समाज भवन तक बिल्व पत्र कलश यात्रा का आयोजन किया गया। इसी के साथ शिव महापुराण का शुभारंभ हुआ। कथा दोपहर 2:30 बजे से कथा की शुरुआत करते हुए पंडित संदीप महाराज ने शिव महापुराण महात्म्य का वर्णन करते हुए बताया कि शिवम् कल्याणम् ददाति इति शिवदः अर्थात जो कल्याण करने वाले देवता हैं वो शिव है। कथा के प्रथम दिवस देवराज नाम के ब्राह्मण के विषय में बतलाया गया, वो विषयों में आशक्त हो गया सारा जीवन विषयों के भोग में लगा दिया। वह ज्ञान में दुर्बल, गरीब, रस बेचने वाला तथा वैदिक धर्म से विमुख था। वह स्नान-संध्या नहीं करता था तथा उसमें वैश्य वृत्ति बढ़ती ही जा रही थी। वह भक्तों को ठगता था। उसने अनेक मनुष्यों को मारकर उन सबका धन हड़प लिया था। उस पापी ने थोड़ा-सा भी धन धर्म के काम में नहीं लगाया। एक दिन वह घूमते हुए प्रतिष्ठानपुर झूंसी गया जो आज प्रयागराज में है, वहां बीमार पड़ गया, बीमार होते हुए एक मंदिर में शिव पुराण का श्रवण किया और मोक्ष को प्राप्त हुआ। इसी प्रकार चंचुला ने भी सारा जीवन व्यर्थ गंवा दिया और अंत में शिव पुराण कथा श्रवण कर पार्वती की सहेली बनी और अपने पति का भी कथा के माध्यम से मोक्ष करवा दिया। प्रतिदिन आदरपूर्वक शिवपुराण का पूजन करने वाले मनुष्य संसार में संपूर्ण सुखो को भोगकर भगवान शिव के पद को प्राप्त करते हैं। वे सदा सुखी रहते हैं। शिव पुराण की कथा जीते जी व्यक्ति का कल्याण करती है और मृत्यु पर्यन्त भी भगवान शिव के धाम ले जाती है।