सूरत में 23 अप्रैल को 1111 वर्षी तप पारणा का आयोजन

वाव के एक ही परिवार से 11 तपस्वी वर्षीतप तपस्या की आचार्य महाश्रमण जी को करेंगे भेंट
प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव ने शुरू किया था वर्षीतप व्रत

सूरत। सूरत की धरती पर 23 अप्रैल को जैन धर्म के तेरापंथ शासन की सदियों पुरानी परंपरा रही वर्षीतप तपस्या के पारणा किए जाएंगे। जैन धर्मसंघ के 11वें आचार्य श्री महाश्रमण जी 1111 वर्षीतप तपस्वियों को गन्ने के रस से पारणा कराएंगे। इस अवसर पर गुजरात वाव के एक ही परिवार (संघवी लक्ष्मी बेन छोटालाल परिवार) की ओर से 11 वर्षीतप तपस्या की आचार्य महाश्रमण जी को भेंट की जाएगी।

जैन धर्म के पहले तीर्थंकर नाभीराजा के पुत्र ऋषभदेव भगवान से शुरू अनंत काल से प्रभावशाली दीर्घ तप की परंपरा यानी वर्षीतप है। जैन धर्म में वर्षीतप तपस्या एक अलग ही महत्व है। जिन पर भगवान और गुरु की कृपा हो वहीं यह कठिन तप पूर्ण कर पाता है। 13 महीने से अधिक और 400 दिन तक चलने वाले वर्षीतप की शुरुआत फाल्गुन वद 8 के दिन से शुरुआत होती है और वैशाख सूद 2 तक यह तप चलता है। वैशाख सुद 3  यानी अक्षय तृतीया के दिन गन्ने के रस का आचमन कर वर्षीतप के तपस्वी पारणा करते हैं। इस तप के दौरान एक दिन उपवास और एक दिन बैठक करनी होती है। उपवास में सूर्योदय से सूर्यास्त तक सिर्फ उबला हुआ पानी पीना होता है और दूसरे दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक दो बार बैठकर भोजन करना होता है। उसके बाद तीसरे दिन फिर उपवास रखना होता है।  इस तरह 13 महीने से भी अधिक समय तक तप करना होता है। इस बार सूरत की पावन भूमि पर जैन धर्म में तेरापंथ शासन के 11वें आचार्य श्री महाश्रमण जी ने महती कृपा कर अक्षय तृतीया महोत्सव सूरत को फ़रमाया है । उनके वचन अनुसार सूरत एवं समग्र भारत के धर्म प्रेमी भाई – बहनों ने 1111 से अधिक वर्षीतप की साधना कर एक इतिहास बनाया है। सूरत के वर्षीतप के तपस्वियों में सबसे कम उम्र की 10 वर्ष की बच्ची और सबसे अधिक उम्र 92 वर्ष के वृद्ध तपस्वी शामिल हैं। इसके अलावा कई दंपतियों ने इस तप के जरिए आराधना की है तो गुजरात के वाव के संघवी लक्ष्मी बेन छोटालाल परिवार से 11 लोगों ने वर्षीतप की तपस्या परिपूर्ण कर तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें आचार्य श्री महाश्रमण जी को वर्षीतप आराधना कर इस महान तप की भेंट की है। 1111 से अधिक वर्षीतप के तपस्वी भाई – बहन वैशाख सुद 3 रविवार को आचार्य श्री महाश्रमण जी के इक्षु रस से सुपात्र दान का लाभ लेकर गन्ने के रस का आचमन कर पारणा करेंगे और जैन शासन में एक नया कीर्तिमान स्थापित करेंगे। तेरापंथ धर्मसंघ के 11वें आचार्य श्री महाश्रमण जी 21 अप्रैल से 5 मई तक सूरत की भूमि को पावन करेंगे। उसके बाद चातुर्मास के लिए मुंबई की ओर विहार करेंगे।